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कालाबाजारी से गहराया खाद संकट ले रहा है किसानों की जान : प्रियंका गांधी

कालाबाजारी से गहराया खाद संकट ले रहा है किसानों की जान : प्रियंका गांधी

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ललितपुर, 29 अक्टूबर। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि भाजपा सरकार की उदासीनता और गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते खाद की कालाबाजारी चरम पर है और इससे उपजा संकट कर्ज में डूबे किसानो की जान ले रहा है। खाद के कारण जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों से मिलने ललितपुर पहुंची प्रियंका ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार को किसानों की पीड़ा से कोई मतलब नहीं है।

लखीमपुर से ललितपुर तक किसान परेशान है। सरकार की नीतियों के चलते किसान कर्ज में डूबा हुआ है। खाद के लिये लाइन में खड़े किसान जान गंवा रहे है। खाद की कालाबाजारी चरम पर है। एक एक बोरी के लिये किसानों को दो दो दिनो तक लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है। एक बोरी दो हजार रूपये की मिल रही है जिसमें 50 किलो की जगह सिर्फ 45 किलो खाद दी जा रही है। यह कालाबाजारी नहीं तो और क्या है। खाद की कालाबाजारी में अधिकारियों और नेताओं की भूमिका की जांच होनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि सिर्फ ललितपुर में अब तक दो किसानों की लाइन में लगे लगे मौत हो चुकी है वहीं कर्ज के मकड़जाल में फंसे दो किसान आत्महत्या कर चुके हैं। किसानो का दर्द है कि अबकी बरसात ठीक हुयी थी मगर खाद की कमी उनकी फसल चौपट कर रही है। अब सूदखोरों का पैसा कहां से चुकायेंगे। प्रियंका ने कहा कि बुंदेलखंड में अन्ना पशुओं की समस्या विकराल है। किसानो को अपनी फसल बचाने के लिये रतजगा करना पड़ता है। देश के किसान महीनो से सड़क पर है मगर उनकी आवाज को या तो दबाया जाता है और या फिर टायरों से कुचला जाता है।

उन्होंने कहा कि लखीमपुर में मंत्री के बेटे ने किसानों की टायर से कुचल कर हत्या कर दी मगर भाजपा सरकार ने अपने मंत्री को नहीं हटाया। मंत्री के रहते क्या मामले की निष्पक्ष जांच हो सकेगा और क्या मृतक किसान के परिजनो को न्याय मिल पायेगा। कांग्रेस किसानो के हक की लड़ाई जारी रखेगी। उनकी सरकार सत्ता में आती है तो काले कानूनों की वापसी के अलावा किसानो का पूरा कर्जा माफ किया जायेगा और उनकी उपज का उचित मूल्य दिया जायेगा।

इससे पहले उन्होंने पीड़ित किसान परिवारों से मिलकर उनकी पीड़ा साझा की और सभी किसान परिवारों का कर्ज चुकाने का वादा किया। पार्टी सूत्रों ने बताया कि किसान भोगी पाल और महेश कुमार बुनकर की खाद की लाइन में लगे थे। कई दिनों तक लाइन में लगे रहने के कारण उनकी हालत खराब हो गयी और उनकी मृत्यु हो गयी। किसान सोनी अहिरवार और बब्लू पाल खाद न मिलने के कारण परेशान थ। उन्होने आत्महत्या कर ली।

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