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2022 में इसरो शुरू करने जा रहा है कई मिशन : डॉ. के सिवन

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चेन्नई, 4 जनवरी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने कहा है कि इसरो की गतिविधियां वर्ष 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण काफी प्रभावित रहीं है लेकिन 2022 में यह कई मिशन शुरू करने जा रहा है। इसरो के वैज्ञानिकों को नये साल के अवसर पर दिये गये संदेश में डॉ़ सिवन ने कहा कि पिछले साल हमने दो मिशन कियेे जिसमें से एक एनएसआईएल मिशन था जो पूरी तरह से व्यवसायिक था।

जीएसएलवी-एफ 10- ईओएस-03 क्रायोजेनिक स्टेज के स्तर में आयी गड़बड़ी के कारण असफल हुआ था। इस असफलता के बाद ही “राष्ट्रीय स्तरीय अफसलता जांच समिति” का गठन कर दिया गया था। गठित समिति ने असफलता की मुख्य वजह जानकर अपनी सिफारिशें दी थीं। संबंधित प्रणाली में सुधार की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। डॉ. सिवन ने बताया कि जीएसएलवी-एफ से 10 भू पर्यवेक्षण उपग्रह (ईओएस) को 12 अगस्त 2021 में श्रीहरिकोटा के एसएचएआर (शार) रेंज से छोड़ना प्रस्तावित है।

इस प्रक्षेपण यान की पहली और दूसरी चरण तो सामान्य है लेकिन ऊपरी क्रायोजेनिक चरण में तकनीकी गड़बड़ी के चलते इग्नीशन न होने के कारण मिशन पूरा नहीं हो पाया था। इसरो की 2022 की योजनाओं की घोषणा करते हुए डॉ़ सिवन ने कहा, “अगर इस साल के इसरो के प्रोजेक्ट की बात करें तो हमारे कई मिशन शुरू किये जायेंगे जिसमें देश का पहला मानवरहित “गगनयान मिशन” भी शामिल है। इस वर्ष पीएसएलवी से ईओएस-4 और ईओएस-6 का प्रक्षेपण प्रस्तावित है। ईओएस-02 को छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से प्रक्षेपित किया जायेगा। गगनयान के क्रू एस्केप सिस्टम की कई उड़ाने और गगनयान के ही मानवरहित मिशन को भी प्रक्षेपण इसी साल होना है।

डॉ. सिवन ने कहा, “हमें चंद्रयान-03 मिशन, आदित्य एल वन, एक्सपोसेट ,आईआरएनएसएस और स्वदेश निर्मित तकनीकों के साथ तकनीक प्रदर्शन मिशन भी इसी साल करना है। इसरो ने तीन नये अंतरिक्ष विज्ञान मिशन पाइपलाइन में है, जिसमें दिशा,ट्विन एयरोनॉमी सेटेलाइट मिशन, शुक्र मिशन, इसरो सीएनईएस और संयुक्त साइंस मिशन त्रिशना शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि त्रिशना मिशन के तहत धरती के तापमान की सटीक मैपिंग की जायेगी। यह मिशन लगभग पूरी दुनिया के लिए उत्तम तकनीक से उच्च श्रेणी का तापमान डाटा उपलब्ध करायेगा। गगनयान प्रोजेेक्ट की डिजाइन का चरण पूरी हो चुका है और अब यह परीक्षण के चरण में आ गया है। विकास इंजन एल वन -10, क्रायोजेनिक स्टेज , क्रू एस्केप सिस्टम और सर्विस मॉडयूल प्रोपलशन सिस्टम के लिए परीक्षण किये जा रहे हैं।

डॉ. सिवन ने कहा कि इसरो ने तेजी से बदल रहे अंतरिक्ष उद्योग के मद्देनजर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की दशकीय योजना भी तैयार कर ली है। अब हम केवल एक साल आगे नहीं बल्कि एक दशक आगे की तैयारी कर रहे हैं। यह दशकीय योजना पूरे देश के लिए तैयार की गयी है इसमें अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़े मूल्यों को ध्यान में रखते हुए इसरो, एकेडमिक और प्राइवेट सेक्टर में सुधार का काम किया जायेगा। इससे सभी ऑपरेशनल मिशन, प्रक्षेपण सेवाओं, साइंस मिशन, तकनीक प्रदर्शन मिशन और नयी तकनीकों के विकास की पहल को प्रोत्साहन मिलेगा।

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