नई दिल्ली, 12 अक्टूबर। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के गुजरात कैडर के अधिकारी राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। दिल्ली उच्च न्यायालय में सदरे आलम ने जनहित याचिका दायर कर आईपीएस राकेश अस्थाना के दिल्ली पुलिस आयुक्त पद पर नियुक्ति को कानून के खिलाफ बताते हुए चुनौती दी थी। इस मामले में सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) नामक स्वयंसेवी संस्था (एनजीओ) की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक हस्तक्षेप याचिका दायर की थी।
प्रशांत भूषण ने इससे पहले उच्चतम न्यायालय में भी राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार, श्री अस्थाना और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अस्थाना की सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले उन्हें सेवा विस्तार के साथ दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्त किया था। केंद्र सरकार की ओर कहा गया था कि दिल्ली की विशेष परिस्थितियों और सुरक्षा संबंधी भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए अस्थाना के अनुभव के मद्देनजर उनका सेवा विस्तार एवं दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्ति का फैसला कानून के दायरे में लिया गया। इससे पहले भी इस प्रकार की कई नियुक्तियां की गई हैं।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सदरे आलम का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील बीएस बग्गा ने उच्चतम न्यायालय के ‘प्रकाश सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ मामले में फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि श्री अस्थाना की सेवानिवृत्ति से चार दिन पूर्व सेवा विस्तार और दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर कानून के खिलाफ है। केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क देते हुए कहा कि ‘प्रकाश सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ राकेश अस्थाना की पुलिस आयुक्त पद पर नियुक्ति के मामले में लागू नहीं होता। उन्होंने तर्क दिया कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है जबकि ‘प्रकाश सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ मामले में राज्यों के पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति से संबंधित फैसला है।