गैंगस्टर एक्ट केस : मुख्तार के बाद भाई अफजाल अंसारी को भी 4 वर्षों की कैद, एक लाख का जुर्माना
गाजीपुर, 29 अप्रैल। गैंगस्टर एक्ट मामले में शनिवार को गाजीपुर के एमपीएमएलए कोर्ट ने माफिया व पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी और उनके सांसद भाई अफजाल अंसारी को कुछ घंटे के अंतराल पर सजा सुना दी। कोर्ट ने मुख्तार को 10 वर्षों की कैद की सजा सुनाने के साथ जहां पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया वहीं कुछ देर बाद बसपा सांसद अफजाल अंसारी को चार वर्षों की कैद की सजा सुनाई। साथ ही उनपर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
वर्ष 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और उनके छह साथियों की दिन दहाड़े हत्या के मामले में सांसद अफजाल पर गैंगस्टर का केस दर्ज किया गया था। वहीं मुख्तार के खिलाफ कृष्णानंद राय और नंदकिशोर रूंगटा की हत्या के मामले में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज किया गया था। दोनों भाइयों के खिलाफ मुहम्मदाबाद थाने में केस दर्ज कराया गया था।
एमपी-एमएलए कोर्ट ने शनिवार को दोनों भाइयों को अलग-अलग सजा सुनाई। मुख्तार अंसारी इस समय बांदा जेल में बंद हैं तो वहीं अफजाल अंसारी गाजीपुर से सांसद हैं। अफजाल छह बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं।
अफजाल की लोकसभा से सदस्यता जाना तय
अफजाल को सजा मिलने के बाद अब उनकी लोकसभा की सदस्यता जाना तय माना जा रहा है। कानूनी जानकारों की मानें तो अफजाल निचली अदालत के फैसले के खिलाफ एक महीने के भीतर ऊपरी अदालत का रुख कर सकते हैं। कानूनी नियम के मुताबिक कोर्ट की सजा का एलान होते ही संसद या विधानसभा की सदस्यता को खुद ब खुद खत्म हो जाती है। स्पीकर अफजाल की संसद सदस्यता खत्म करने की घोषणा की रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजेंगे। इसके बाद आयोग गाजीपुर में उपचुनाव की तारीखों का एलान करेगा।
अफजाल अंसारी के राजनीतिक करिअर पर एक नजर
गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी वैसे तो छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े रहे, लेकिन उन्होंने सक्रिय राजनीति में भागीदारी वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव से की। पहली बार वह वर्ष 1985 में भाकपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बने। इसके बाद उनका जीत का सिलसिला 1989, 91, 93 व 96 तक चलता रहा। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के कृष्णानंद राय से चुनाव हार गए। वह वर्ष 1993, 96 व 2002 का चुनाव सपा के टिकट पर लड़े।
विधान सभा चुनाव हारने के बाद सपा ने अफजाल अंसारी को वर्ष 2004 में लोकसभा का टिकट दिया। इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के मनोज सिन्हा को हराया। इस बीच 29 नवंम्बर, 2005 को विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद जेल चले गए। जेल जाने के दौरान सपा से राजनीतिक मतभेद होने के बाद वह वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव गाजीपुर संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर लड़े और चुनाव हार गए। इसके पश्चात उन्होंने अपना कौमी एकता दल बनाया। वर्ष 2014 में बलिया संसदीय सीट से चुनाव लड़े, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसके पश्चात वह 2019 में गाजीपुर संसदीय सीट से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर सपा-बसपा गठबंधन से चुनाव लड़े और तत्कालीन केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को हराकर सांसद बने। मनोज सिन्हा संप्रति जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल हैं।
