पिछले 6 वर्षों में 10 लाख से अधिक भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता, विदेश राज्य मंत्री ने संसद में दी जानकारी
नई दिल्ली, 26 जुलाई। पिछले छह वर्षों में 10 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है। दरअसल, हर वर्ष बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक दूसरे देशों की नागरिकता लेते हैं, जिसके बाद उन्हें भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है। विदेश मंत्रालय ने संसद में यह जानकारी दी।
2024 में दो लाख से अधिक भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी है
विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में भारतीय नागरिकता त्यागने से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि पिछले वर्ष यानी 2024 में दो लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है। हालांकि यह आंकड़ा 2023 से थोड़ा कम है।
केंद्र सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 से हर वर्ष दो लाख से ज्यादा लोग भारतीय नागरिकता त्यागकर दूसरे देशों में बस गए। पिछले छह वर्षों का डेटा इस प्रकार है –
- 2019 : 1,44,017
- 2020 : 85,256
- 2021 : 1,63,370
- 2022 : 2,25,620
- 2023 : 2,16,219
- 2024 : 2,06,378
विदेश मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या इस बात की जानकारी है कि भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। प्रश्न के उत्तर में साझा किए गए आंकड़ों से पता चला कि 2019 के बाद से भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की संख्या में उतार-चढ़ाव रहा है। 2019 में 1,44,017 लोगों ने भारतीय नगारिकता छोड़ी थी, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 85,256 था।
भारत में नागरिकता से संबंधित नियम
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 5 से 11 (भाग II) में नागरिकता का वर्णन है। नागरिकता अधिनियम 1955 में भारतीय नागरिकता लेने और छोड़ने का प्रावधान है। नागरिकता अधिनियम 1955 को समय-समय पर संशोधित किया गया है।
भारतीय नागरिकता के लिए पात्रता
- भारत के संविधान के प्रारंभ में नागरिकता
- जन्म से नागरिकता
- वंश द्वारा नागरिकता
- पंजीकरण द्वारा नागरिकता
- प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता
भारतीय नागरिकता की समाप्ति के नियम
कोई व्यक्ति भारत की नागरिकता तीन तरीकों से खो सकता है – त्याग, समाप्ति और वंचना।
- 26 नवम्बर, 1949 को भारत के क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्ति भारतीय संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के लागू होने से खुद ही भारतीय नागरिक बन गए। (भारत के संविधान के प्रारंभ में नागरिकता)
- कोई भी व्यक्ति, जो 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद, मगर 1 जुलाई, 1987 को 1986 अधिनियम के लागू होने से पहले भारत में पैदा हुआ हो, जन्म से भारत का नागरिक है। (जन्म से नागरिकता)
- 1 जुलाई, 1987 को या उसके बाद भारत में जन्मा व्यक्ति भारत का नागरिक है, अगर उसके माता-पिता में से कोई एक जन्म के समय भारतीय नागरिक थे।
- 3 दिसम्बर, 2004 को या उसके बाद भारत में जन्मे लोगों को भारत का नागरिक तभी माना जाएगा जब उनके माता-पिता दोनों भारत के नागरिक हों या उनके जन्म के समय माता-पिता में से एक भारत का नागरिक हो और दूसरा अवैध प्रवासी न हो।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार, जो व्यक्ति अपनी मर्जी से किसी अन्य देश की नागरिकता लेता है, वह भारतीय नागरिक नहीं रह जाता। इसके अलावा, पासपोर्ट अधिनियम के अनुसार, किसी व्यक्ति को किसी अन्य देश की नागरिकता लेने पर अपना भारतीय पासपोर्ट जमा करना होता है। यदि वह पासपोर्ट जमा नहीं करता है तो यह अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है।
भारतीय नागरिकता छोड़ने की प्रक्रिया
सरकार से यह भी पूछा गया कि क्या वह भारतीय नागरिकता छोड़ने के अनुरोध को स्वीकार करने से पहले गहन निरीक्षण करती है। जवाब में, सरकार ने नागरिकता छोड़ने की प्रक्रिया का विस्तृत विवरण दिया। नागरिकता छोड़ने के लिए https://www.indiancitizenshiponline.nic.in पर आवेदन करना होगा. इसके बाद, उनके मूल पासपोर्ट और अन्य विवरणों का सत्यापन किया जाएगा, जिसके बाद दस्तावेजों को संबंधित सरकारी विभागों को उनकी प्रतिक्रिया के लिए भेजा जाएगा। सरकारी विभागों को 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट देनी पड़ती है। आवेदक की घोषणा के विवरण सत्यापित हो जाने पर पावती के 30 दिनों के बाद त्याग प्रमाण पत्र ऑनलाइन स्वीकृत कर दिया जाता है।
