नई दिल्ली, 24 मई। दक्षिण-पश्चिमी मानसून शनिवार को केरल पहुंच गया और वहां झमाझम बारिश शुरू हो गई है। इस प्रकार 2009 यानी 16 वर्षों बाद भारत में समय से पहले मानसून का आगमन हुआ है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने यह जानकारी दी। इसके पहले 2009 में 23 मई को मानसून केरल पहुंचा था।
देखा जाए तो दक्षिण-पश्चिमी मानसून सामान्यतः एक जून तक केरल में प्रवेश करता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में पहुंचता है। इस लिहाज से देखें तो इस बार अपने तय वक्त से आठ दिन पहले ही मानसून ने केरल में दस्तक दे दी है।
केरल के कई जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी
आईएमडी ने मानसून के आगमन को देखते हुए केरल के कई जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है – जो अगले 24 घंटों में 20 सेमी से अधिक बारिश का सामना कर सकते हैं। कुछ अन्य जिलों में ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है, जहां 11 सेमी से 20 सेमी के बीच बारिश हो सकती है। आईएमडी ने 6 सेमी से 11 सेमी के बीच भारी बारिश की आशंका वाले क्षेत्रों के लिए येलो अलर्ट भी जारी किया है।
दिल्ली-NCR में गरज के साथ बौछारें पड़ने का अनुमान
आईएमडी ने एक बयान में कहा, ‘दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में 25 और 26 मई को गरज-चमक के साथ आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना है। 27 मई को बारिश या गरज के साथ बौछारें पड़ने का अनुमान है।’ इससे पहले गत 21 मई की शाम को दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद में भयंकर तूफान आया था। 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं और बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई थी।
मुंबई में ऑरेंज अलर्ट जारी, भारी वर्षा का अनुमान
दक्षिण कोंकण, गोवा तट के पास और पूर्व मध्य अरब सागर में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। इसके चलते आईएमडी ने अगले तीन दिनों के लिए कोंकण क्षेत्र में अत्यधिक भारी वर्षा का रेड अलर्ट जारी किया है। आईएमडी ने एक बयान में कहा, ‘रायगढ़ और रत्नागिरी जिले के लिए अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना का पूर्वानुमान लगाते हुए रेड अलर्ट जारी किया गया है जबकि मुंबई, ठाणे, पालघर, सिंधुदुर्ग के साथ-साथ पुणे और सतारा के लिए भारी बारिश, गरज और तेज हवाओं के साथ ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।’
आईएमडी ने मुंबई के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जिसमें भारी से बहुत भारी वर्षा, गरज के साथ छींटे पड़ने और अलग-अलग स्थानों पर 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से तेज हवाएं चलने की चेतावनी दी गई है।
17 सितम्बर के आसपास शुरू हो जाती है मानसून की वापसी
आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार उत्तर-पश्चिमी भारत से मानसून की वापसी 17 सितम्बर के आसपास शुरू हो जाती है और 15 अक्टूबर तक यह पूरी तरह से वापस चला जाता है। मानसून दक्षिणी राज्य में पिछले वर्ष 30 मई को, 2023 में आठ जून को, 2022 में 29 मई को, 2021 में तीन जून को, 2020 में एक जून को, 2019 में आठ जून को और 2018 में 29 मई को आया था।
वर्ष 1975 से उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि मानसून केरल में सबसे जल्दी 1990 में (19 मई को) पहुंचा था, जो सामान्य तिथि से 13 दिन पहले था। हालांकि मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, केरल में मानसून के जल्दी या देर से आने का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों में भी उसी तरह पहुंचेगा।
देश के अन्य हिस्सों में मानसून का आगमन कई कारकों से तय होता है
आईएमडी के एक अधिकारी ने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में मानसून का आगमन वैश्विक, क्षेत्रीय एवं स्थानीय समेत कई कारकों से तय होता है। आईएमडी ने अप्रैल में इस वर्ष मानसून में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान जताया था, जिससे अल नीनो की स्थिति की संभावना खारिज हो गई। अल नीनो प्रणाली भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से जुड़ी है।
आईएमडी के अनुसार, 50 वर्षों के औसत 87 सेंटीमीटर के 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच की बारिश को ‘सामान्य’ माना जाता है। दीर्घावधि औसत के हिसाब से 90 प्रतिशत से कम वर्षा को ‘कमी’, 90 से 95 प्रतिशत के बीच ‘सामान्य से कम’, 105 से 110 प्रतिशत के बीच ‘सामान्य से अधिक’ और 100 प्रतिशत से अधिक वर्षा को ‘अधिक’ वर्षा माना जाता है।
पिछले वर्ष भारत में 934.8 मिमी बारिश हुई थी
भारत में 2024 में 934.8 मिमी बारिश हुई थी, जो औसत का 108 प्रतिशत तथा 2020 के बाद से सबसे अधिक है। इससे पहले 2023 में 820 मिमी यानी औसत का 94.4 प्रतिशत बारिश हुई थी। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 925 मिमी, 2021 में 870 मिमी और 2020 में 958 मिमी बारिश हुई थी।
भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है मानसून
भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मानसून महत्वपूर्ण है। कृषि क्षेत्र लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी की आजीविका में सहयोग प्रदान करता है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है। मानसून देशभर में पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए अहम जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
