1. Home
  2. हिन्दी
  3. राष्ट्रीय
  4. मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश में भारतीय रेलवे की दो मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को दी मंजूरी
मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश में भारतीय रेलवे की दो मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को दी मंजूरी

मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश में भारतीय रेलवे की दो मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को दी मंजूरी

0
Social Share

नई दिल्ली, 28 मई। भारतीय रेल की लाइन क्षमता बढ़ाने के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बुधवार को भारतीय रेल में दो मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी, ताकि यात्रियों और वस्तुओं का निर्बाध एवं तेज परिवहन सुनिश्चित किया जा सके। इन परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत लगभग 3,399 करोड़ रुपए है और इन्हें 2029-30 तक पूरा किया जाएगा।

परियोजनाओं के दौरान लगभग 74 लाख मानव-दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। इन परियोजनाओं में शामिल हैं –

  1. रतलाम-नागदा तीसरी और चौथी लाइन
  2. वर्धा-बल्हारशाह चौथी लाइन

गौरतलब है कि ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुई हैं। ये यात्रियों, वस्तुओं और सेवाओं के लिए निर्बाध संपर्क प्रदान करेंगी। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के चार जिलों को समाहित करने वाली ये दो परियोजनाएं भारतीय रेल के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 176 किलोमीटर तक विस्तारित करेंगी। प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना लगभग 784 गांवों तक संपर्क सुविधा बढ़ाएंगी, जिनकी आबादी लगभग 19.74 लाख है।

ये कोयला, सीमेंट, क्लिंकर, जिप्सम, फ्लाई ऐश, कंटेनर, कृषि वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पादों जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक मार्ग हैं। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 18.40 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का साधन है, जो जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की लॉजिस्टिक लागत, तेल आयात (20 करोड़ लीटर) को कम करने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन (99 करोड़ किलोग्राम) में कमी करने में मदद करेगा, जो 4 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।

सरकार की यह पहल यात्रा सुविधा में सुधार करेगी, लॉजिस्टिक लागत, तेल आयात और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने में योगदान देगी, जिससे टिकाऊ और कुशल रेल संचालन को मजबूती मिलेगी। परियोजनाएं कंटेनर, कोयला, सीमेंट, कृषि वस्तुओं और अन्य सामानों के परिवहन के लिए महत्वपूर्ण मार्गों पर लाइन क्षमता को बढ़ाकर लॉजिस्टिक दक्षता को भी बढ़ाएंगी।

इन सुधारों से आपूर्ति श्रृंखलाओं के बेहतर उपयोग की आशा है, जिससे आर्थिक विकास में तेजी आएगी। वहीं, बढ़ी हुई लाइन क्षमता से गतिशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रेल के लिए परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा।

आंध्र प्रदेश में 4-लेन बाडवेल-नेल्लोर कॉरिडोर के निर्माण को मंजूरी

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय के तहत आंध्र प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग NH-67 पर बडवेल-गोपावरम गांव से NH-16 पर गुरुविंदापुडी तक डिजाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट-ट्रांसफर (DBFOT) मोड पर 4-लेन बडवेल-नेल्लोर राजमार्ग के विकास को मंजूरी दे दी। कुल 108.134 किलोमीटर की लंबाई के लिए कुल पूंजी लागत 3653.10 करोड़ रुपए है।

108.134 किमी कॉरिडोर की कुल पूंजी लागत 3653.10 करोड़ रुपये

आधिकारिक बयान के अनुसार, इस परियोजना से लगभग 20 लाख मानव दिवस प्रत्यक्ष रोजगार और 23 लाख मानव दिवस अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। प्रस्तावित कॉरिडोर के आसपास के क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के कारण परियोजना से अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

परियोजना से पैदा होंगे लगभग 20 लाख मानव दिवस प्रत्यक्ष रोजगार

स्वीकृत बाडवेल-नेल्लोर गलियारा आंध्र प्रदेश के तीन औद्योगिक गलियारों में महत्वपूर्ण नोड्स को कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, अर्थात विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारा (वीसीआईसी) पर कोप्पार्थी नोड, हैदराबाद-बेंगलुरु औद्योगिक गलियारा (एचबीआईसी) पर ओर्वाकल नोड और चेन्नई-बेंगलुरु औद्योगिक गलियारा (सीबीआईसी) पर कृष्णपट्टनम नोड। इसका देश के लॉजिस्टिक परफॉरमेंस इंडेक्स (एलपीआई) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

बडवेल नेल्लोर कॉरिडोर वाईएसआर कडप्पा जिले में मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-67 पर गोपावरम गांव से शुरू होता है और आंध्र प्रदेश के एसपीएसआर नेल्लोर जिले में एनएच-16 (चेन्नई-कोलकाता) पर कृष्णापटनम पोर्ट जंक्शन पर समाप्त होता है। यह कृष्णापटनम पोर्ट को कार्यनीतिक संपर्क भी प्रदान करेगा, जिसे चेन्नई-बेंगलुरु औद्योगिक कॉरिडोर (सीबीआईसी) के तहत प्राथमिकता नोड के रूप में पहचाना गया है।

कॉरिडोर से कृष्णपट्टनम बंदरगाह तक की दूरी में 33.9 किमी की कमी

प्रस्तावित कॉरिडोर से कृष्णपट्टनम बंदरगाह तक की यात्रा दूरी मौजूदा बाडवेल-नेल्लोर सड़क की तुलना में 142 किमी से 33.9 किमी कम होकर 108.13 किमी हो जाएगी। इससे यात्रा का समय एक घंटे कम हो जाएगा और ईंधन की खपत में कमी के रूप में पर्याप्त लाभ सुनिश्चित होगा, जिससे कार्बन फुटप्रिंट और वाहन परिचालन लागत (वीओसी) में कमी आएगी।

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code