मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल को दी मंजूरी, अगले सप्ताह संसद में पेश किए जाने की संभावना
नई दिल्ली, 12 दिसम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्रीय कैबिनेट ने बहुप्रतीक्षित एक देश-एक चुनाव (वन नेशन-वन इलेक्शन) बिल को आज मंजूरी दे दी। सूत्रों का कहना है कि अब सरकार इस बिल को सदन के पटल पर रख सकती है। यह विधेयक इसी शीतकालीन सत्र में अगले सप्ताह लाए जाने की संभावना है।
बताया जा रहा है कि सबसे पहले संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया जाएगा और सभी दलों के सुझाव लिए जाएंगे। अंत में यह विधेयक संसद में लाया जाएगा और इसे पास करवाया जाएगा। इससे पहले रामनाथ कोविंद की कमेटी ने सरकार को ‘एक देश-एक चुनाव’ से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
राजनीतिक दलों से चर्चा करेगी जेपीसी
सूत्रों का कहना है कि लंबी चर्चा और आम सहमति बनाने के लिए सरकार इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने की योजना बना रही है। जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा करेगी और इस प्रस्ताव पर सामूहिक सहमति की जरूरत पर जोर देगी। देश में फिलहाल अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। यह विधेयक कानून बनने के बाद देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की तैयारी है।
I.N.D.I.A. ब्लॉक की कई पार्टियां सरकार के इस कदम का विरोध कर रहीं
हालांकि, इस सरकार के इस कदम का कांग्रेस और AAP जैसी I.N.D.I.A. ब्लॉक की कई पार्टियों ने विरोध किया है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इससे केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा होगा। वहीं नीतीश कुमार की जेडीयू और चिराग पासवान जैसे प्रमुख NDA सहयोगियों ने एक साथ चुनाव कराए जाने का समर्थन किया है।
ये है सरकार की तैयारी
सूत्रों ने बताया कि सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों को बुद्धिजीवियों, विशेषज्ञों और सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ अपने विचार साझा करने के लिए कहा जाएगा। इसके अलावा आम जनता से भी सुझाव मांगे जाएंगे, जो निर्णय लेने की प्रक्रिया में समावेशिता और पारदर्शिता को बढ़ाएंगे। विधेयक के प्रमुख पहलुओं में इसके लाभ और देशभर में एक साथ चुनाव कराने के लिए जरूरी कार्यप्रणाली पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
संभावित चुनौतियों का समाधान किया जाएगा और विविध दृष्टिकोणों को एकत्रित किया जाएगा। ‘एक देश-एक चुनाव’ को बार-बार होने वाले चुनावों से जुड़ी लागत और व्यवधानों को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि सरकार चाहती है कि इस विधेयक को लेकर व्यापक समर्थन हासिल किया जाए। हालांकि, इस प्रस्ताव पर राजनीतिक बहस भी बढ़ सकती है। विपक्षी दल इसकी व्यवहार्यता के बारे में सवाल उठा सकते हैं।