मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने गंगा नदी की स्वच्छता पर उठाए सवाल, कहा – देश की कोई भी नदी साफ नहीं
मुंबई, 9 मार्च। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने गंगा नदी की स्वच्छता पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने दावा किया कि देश की कोई भी नदी साफ नहीं है। ठाकरे ने मनसे की स्थापना के 19 वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की।

मनसे प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी के नेता बाला नंदगांवकर महाकुंभ से पवित्र जल लेकर आए थे, लेकिन उन्होंने इसे पीने से इनकार कर दिया। राज ठाकरे ने कहा, ‘मैंने गंगा नदी की स्थिति के बारे में सोशल मीडिया पर कई वीडियो देखे हैं। मैंने कुछ लोगों को नदी में अपना शरीर खुजलाते और स्नान करते भी देखा।’
‘मैं उस गंगा के गंदे पानी को नहीं छू सकता, जहां करोड़ों लोगों ने स्नान किया’
राज ठाकरे ने दावा किया कि कोई भी नदी साफ नहीं है। उन्होंने कहा, ‘जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब से ही मैं यह दावा सुनता आ रहा हूं कि गंगा जल्द ही साफ हो जाएगी। अब इस मिथक से बाहर आने का समय आ गया है। लोगों को अंधविश्वास से बाहर निकलना चाहिए। मैं उस गंगा के गंदे पानी को नहीं छू सकता, जहां करोड़ों लोगों ने स्नान किया हो।’

ठाकरे ने सवाल किया, ‘अगर लोग अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए प्रयागराज गए और गंगा में स्नान किया, तो क्या वे सच में अपने पापों से मुक्त हो सकते हैं? अब आप विश्वास और अंधविश्वास के बीच का अंतर समझ गए होंगे।’
आज महाराष्ट्र नवनिर्माण सेनेच्या १९ व्या वर्धापनदिनाच्या कार्यक्रमात महाराष्ट्र सैनिकांशी संवाद साधला.
१) सर्वप्रथम माझ्या महाराष्ट्र सैनिकांना वर्धापनदिनाच्या शुभेच्छा. मी आज तुम्हाला शुभेच्छा द्यायला आलो आहे. बाकी मला जो दांडपट्टा फिरवायचा आहे तो मी आपल्या गुढीपाडव्याच्या… pic.twitter.com/PpFAylfvZD
— Raj Thackeray (@RajThackeray) March 9, 2025
‘देश में कोई भी नदी साफ नहीं, फिर भी हम इन नदियों को माता मानते हैं’
राज ठाकरे ने कहा कि यह मुद्दा नदी के पानी की सफाई का है। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में कोई भी नदी साफ नहीं है, फिर भी हम इन नदियों को माता मानते हैं। विदेशों में नदियां साफ-सुथरी होती हैं, लेकिन वहां नदियों को माता नहीं कहा जाता। हमारे यहां तो लोग नदियों में नहाते हैं, कपड़े धोते हैं और जो चाहें करते हैं। यह कहां तक उचित है।’
मनसे प्रमुख ने कोरोना काल का जिक्र करते हुए कहा, ‘अभी-अभी कोविड आया था। दो वर्ष तक लोग मुंह पर मास्क लगाकर घूम रहे थे। अब वहां जाकर स्नान कर रहे है। कौन उस गंगा में जाकर कूदेगा? श्रद्धा का भी कुछ अर्थ होना चाहिए।’
