मेलबर्न टेस्ट: जायसवाल को कैच आउट देने के फैसले पर हुआ विवाद, रोहित ने कहा, ‘गेंद उन्हें छूकर निकली थी’
मेलबर्न, 30 दिसंबर, यशस्वी जायसवाल को विवादास्पद तरीके से आउट दिये जाने के फैसले ने हंगामा खड़ा कर दिया लेकिन भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने गेंद के इस बायें हाथ के बल्लेबाज को ‘छ्रकर’ निकलने का ‘अनुमान’ लगाते हुए कहा कि तकनीक से जुड़े ऐसे करीबी मामलों में फैसले अकसर उनकी टीम के खिलाफ जाते हैं।
स्निको (आवाज की रीडिंग दिखाने वाली तकनीक) पर कोई हरकत नहीं दिखने के बाद भी तीसरे अंपायर सैकत शरफुद्दौला ने जायसवाल को आउट करार दिया। वह उस समय 84 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे। जायसवाल तेज गेंदबाज पैट कमिंस की शॉर्ट-पिच गेंद पर हुक करने की कोशिश में चूक गये। गेंद विकेटकीपर एलेक्स कैरी के दस्तानों में जाने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने कैच आउट की अपील की लेकिन मैदान अंपायर जोएल विल्सन ने बल्लेबाज को नॉट आउट दिया।
ऑस्ट्रेलिया के कप्तान कमिंस ने इस फैसले के खिलाफ रिव्यू लिया और तीसरे अंपायर सैकत ने स्निको में कोई हरकत नहीं दिखने के बावजूद जायसवाल के बल्ले या ग्लव्स से टकराकर गेंद के ‘डिफ्लेक्ट (दिशा में मामूली बदलाव)’ होने का हवाला देकर उन्हें आउट करार दिया। उनके इस फैसले के बाद मेलबर्न क्रिकेट मैदान में मौजूद भारतीय प्रशंसक ‘बेईमान-बेईमान’ के नारे लगाने लगे।
जायसवाल 208 गेंद में 84 रन बनाकर आउट हुए। उनके आउट होते ही भारत की मैच बचाने की उम्मीद खत्म हो गयी और टीम दूसरी पारी में जीत के लिए 340 रन का पीछा करते हुए महज 155 रन पर आउट हो गयी। ऑस्ट्रेलिया ने 184 रन की जीत के साथ पांच मैचों की श्रृंखला में 2-1 की बढ़त बना ली। तीसरे अंपायर के फैसले के बाद जायसवाल ने मैदानी अंपायर से बातचीत भी की लेकिन उन्हें पवेलियन की तरफ लौटना पड़ा।
रोहित संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में पूछे जाने पर भावुक होने की जगह ज्यादा व्यावहारिक दिखे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि इसका क्या मतलब निकाला जाए क्योंकि तकनीक ने कुछ भी नहीं दिखाया लेकिन आंखों से ऐसा लग रहा था गेंद उसे छूकर निकली है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि अंपायर तकनीक का उपयोग कैसे करना चाहते हैं, लेकिन पूरी निष्पक्षता से मुझे लगता है कि उन्होंने गेंद को छुआ था।’’
भारतीय कप्तान ने हालांकि इस बात पर निराशा जतायी कि उनकी टीम को अक्सर ऐसे फैसलों का खामियाजा भुगतना पड़ता है। रोहित ने कहा, ‘‘यह उस तकनीक के बारे में है जिसके बारे में हम सभी जानते हैं कि वह 100 प्रतिशत नहीं है। लेकिन फिर भी हम वास्तव में उस पर बहुत अधिक गौर नहीं करना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ इतना है कि हमें अक्सर इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। ऐसा लगातार हो रहा है, इसलिए हम थोड़े दुर्भाग्यशाली रहे हैं।’’
भारत के पूर्व महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने तीसरे अंपायर के फैसले की आलोचना की। गावस्कर ने मेजबान प्रसारक से कहा, ‘‘ गेंद की दिशा में मामूली बदलाव ‘दृष्टि भ्रम’ हो सकता है। आपने तकनीक क्यों रखी है? अगर तकनीक है, तो उसका उपयोग करना चाहिए। आप जो देखते हैं उसके आधार पर निर्णय नहीं ले सकते और तकनीक को नजरअंदाज नहीं कर सकते।’’
आईसीसी एलीट पैनल के पूर्व अंपायर साइमन टॉफेल ने ‘चैनल 7’ को बताया, ‘‘मेरे विचार में निर्णय आउट था। तीसरे अंपायर ने सही निर्णय लिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तकनीक प्रोटोकॉल के साथ भी हम साक्ष्य देखते हैं और अगर अंपायर को लगाता है कि बल्ले से लगकर गेंद की दिशा बदली है तो इस तरह मामले को साबित करने के लिए तकनीक के किसी अन्य रूप का उपयोग करने की कोई आवश्यकता नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ गेंद की दिशा में मामूली बदलाव भी निर्णायक साक्ष्य है। इस विशेष मामले में हमने तीसरे अंपायर से जो देखा है, वह यह है कि उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल सहायक के रूप का उपयोग किया। चाहे जो भी कारण हो इस मामले में ऑडियो (स्निको) में ऐसा नहीं दिखा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ आखिर में तीसरे अंपायर ने सही काम किया और स्पष्ट ‘डिफ्लेक्शन’ के आधार पर मैदानी अंपायर के फैसले को पलट दिया। इसलिए मेरे विचार से सही निर्णय लिया गया।’’
यह घटना पर्थ में शुरुआती टेस्ट में इसी तरह के विवाद के बाद हुई है, जहां सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल के आउट होने पर बहस छिड़ गई थी। ऑस्ट्रेलिया की अपील के बाद मैदानी अंपायर रिचर्ड केटलबोरो ने राहुल के पक्ष में फैसला सुनाया था, घरेलू टीम ने फैसले को चुनौती देने के लिए डीआरएस का इस्तेमाल किया।
थर्ड अंपायर रिचर्ड इलिंगवर्थ ने ‘स्प्लिट-स्क्रीन व्यू’ का लाभ नहीं मिलने के बावजूद मैदान अंपायर के फैसले को पलट दिया था। ‘स्प्लिट-स्क्रीन व्यू’ से उन्हें यह स्पष्ट तस्वीर मिल जाती कि क्या मिचेल स्टार्क की गेंद ने वास्तव में बल्ले को छुआ था या स्निको की आवाज गेंद के पैड के टकराने से आयी थी।