मारपीट के बाद फिर टला एमसीडी स्थायी समिति का चुनाव, भाजपा जाएगी कोर्ट, थाने के बाहर AAP का धरना
नई दिल्ली, 24 फरवरी। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पार्षदों के बीच विवादों के अखाड़े में तब्दील हो चुका है। पहले मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव बवाल के बाद संपन्न हुआ और अब शुक्रवार को स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमेटी) के चुनाव में फिर खूब हंगामा और मारपीट का ऋणित दृश्य देखने को मिला।
हालात ऐसे बन गए कि गुरुवार के बाद शुक्रवार को भी स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव संपन्न नहीं हो सका। चुनाव तो फेल हुआ ही, जिस तरह से सदन में पार्षदों ने एक दूसरे के साथ मारपीट की, जिस तरह मुक्केबाजी का दौर चला, उसने पूरे देश को हैरान कर दिया। वर्तमान में दिल्ली एमसीडी से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वो पिछले कुछ समय में यहां की राजनीति के लिहाज से सामान्य बात बन गई है। कुछ दिन पहले पानी की बोतलों को हथियार बना इस्तेमाल किया गया था, अब हाथापाई के जरिए जमकर बवाल काटा गया।
धांधली…हार का डर और जमकर बवाल
दरअसल, शुक्रवार को एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव को लेकर वोटिंग हुई थी। लेकिन उस वोटिंग के दौरान फिर जमकर बवाल देखने को मिला, दोबारा काउंटिंग तक की मांग उठ गई थी। उस बीच भाजपा और ‘आप’ के पार्षद आमने-सामने आ गए और मारपीट का दौर शुरू हो गया। जो वीडियो सामने आए, उनमें पार्षद एक दूसरे को लात-घूंसे मार रहे थे, महिला पार्षद भी आक्रमक दिखाई दे रही थीं।
इस पूरी लड़ाई के दो स्पष्ट पहलू देखने को मिले। ‘आप’ का वर्जन ये रहा कि भाजपा को हार का डर है और इसलिए उसने मेयर तक को मारने की कोशिश की। दूसरा वर्जन भाजपा का है, जो चुनाव में धांधली के आरोप लगा रही है और यहां तक कह रही है कि ‘आप’ वाले मार-पिटाई पर उतर आए हैं।
27 फरवरी तक सदन स्थगित, कोर्ट तक पहुंची सियासत
फिलहाल के लिए सदन को 27 फरवरी तक स्थगित कर दिया गया है। 27 तारीख को ही फिर स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव करवाने की बात हुई है। लेकिन बीजेपी इसे रोकने के लिए शनिवार को कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। पार्टी ने यहां तक मांग की है कि इस बवाल की सीबीआई जांच होना जरूरी है। उसने इसे एमसीडी इतिहास का एक काला अध्याय बता दिया है।
‘आप‘ का आरोप – भाजपा पार्षदों ने महिला मेयर पर हमला किया
दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने भी इस मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। ‘आप’ नेता आतिशी ने कहा, ‘भाजपा ने गुंडागर्दी का प्रमाण दिखा दिया है, स्टैंडिंग कमेटी चुनाव की काउंटिंग शांति से हुई, लेकिन जब उन्हें लगा कि वे चुनाव हार रहे हैं, उन्होंने हमारी महिला मेयर पर हमला कर दिया। मेयर को जान बचाने के लिए हाउस से भागना पड़ा। हाउस के बाहर भी पुरुष पार्षदों ने उन्हें शारीरिक तौर पर मारा। यह भाजपा की गुंडागर्दी है, ये अपनी हार नहीं मान रहे हैं। इन लोगों ने मारपीट शुरू कर दी। पुरुष पार्षदों ने स्टेज पर जाकर महिला मेयर पर हमला किया है। आज पूरा देश शर्मसार है।’
मध्यरात्रि बाद ‘आप’ पार्षद कमला मार्केट थाने में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और भाजपा पार्षदों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की मांग कर रहे थे। वहीं भाजपा कानूनी रास्ता पकड़ रही है और कोर्ट में शनिवार को याचिका दायर करने जा रही है। यानी कि दोनों तरफ से फुल ऑन बवाल है और चुनाव फिर टाला जा सकता है।
स्टैंडिंग कमेटी का गणित, ऐसे बनी साख की लड़ाई
एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव समझने के लिए इसके बैकग्राउंड को जानना जरूरी हो जाता है। स्टैंडिंग कमेटी में कुल छह लोगों को चुना जाता है। स्टैंडिंग कमेटी को डिसीजन मेकिंग कमेटी भी कहा जा सकता है। किसी भी योजना को अंतिम रूप देने में इस कमेटी का सक्रिय योगदान रहता है। सरल शब्दों में दिल्ली एमसीडी जो भी काम करती है, उसमें सीधी भागीदारी स्टैंडिंग कमेटी की रहती है।
भाजपा और आम आदमी पार्टी के लिए ये चुनाव साख की लड़ाई इसलिए है कि जिसे भी इस कमेटी में स्पष्ट बहुमत मिलेगा, वो आसानी से अपनी सभी योजनाओं को जमीन पर उतार पाएगा. अगर भाजपा को बहुमत मिलता है तो एमसीडी में हारने के बाद भी योजनाओं में पार्टी का हस्तक्षेप ज्यादा रहेगा। वहीं अगर ‘आप’ इसमें बहुमत पाती है तो अरविंद केजरीवाल ने जितने भी वादे किए हैं, उन्हें कम समय में पूरा किया जा सकता है। यानी कि इस एक चुनाव पर दिल्ली एमसीडी का सारा काम टिका है।
चुनावी गणित क्या कहता है, किसका बहुमत-किसकी हार?
स्टैंडिंग कमेटी के चुनावी आंकड़े बताते हैं कि आम आदमी पार्टी ने अपनी तरफ से चार उम्मीदवार उतारे हैं जबकि भाजपा ने तीन को उतारा है। कुल आंकड़ा बैठता है सात। यानी कि किसी एक की हार तो तय है। अब स्टैंडिंग कमेटी के अंदर भी एक चेयरपर्सन और एक डिप्टी चेयरपर्सन होता है। कमेटी के सदस्य ही इनका चयन करते हैं। अब जिस भी पार्टी के पास बहुमत रहता है, ये दोनों पद भी उन्हीं के खाते में चले जाते हैं। इसी वजह मेयर चुनाव से ज्यादा इस कमेटी के चुनाव को लेकर बवाल की स्थिति है।
पिछली बार जब स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव होना था, तब पार्षद वोटिंग के दौरान मोबाइल फोन भी साथ लेकर गए थे। उस बात पर भाजपा ने आपत्ति जाहिर की थी। तर्क दिया गया था कि आम आदमी पार्टी को क्रॉस वोटिंग का शक है और इसी वजह से साथ फोन ले जाने को कहा गया। उस वजह से जमकर बवाल हुआ था। शुक्रवार को जब वोटिंग हुई, भाजपा की मांग मानते हुए फोन बाहर रख दिए गए। वोटिंग हुई और एक वोट इनवैलिड बता दिया गया। फिर बवाल की स्थिति बनी और सदन में नारेबाजी देखने को मिली। नारेबाजी ने बाद में विकराल रूप धारण कर लिया और एक बार फिर मारपीट शुरू हो गई।
भाजपा ने 3-3 सीटें मिलने का किया दावा, ‘आप‘ ने खारिज किया
इस बवाल के बाद भाजपा के एक ट्वीट ने भी विवाद खड़ा कर दिया है। पार्टी का दावा है कि टेक्निकल कमेटी ने जो नतीजे दिए हैं, उसमें उसे और ‘आप’ को तीन-तीन सीटें मिल रही हैं।स्टैंडिंग कमेटी चुनाव के दौरान हुए विवाद के बीच जो नतीजे घोषित किए थे, उसमें तीन-तीन सीटों पर भाजपा और ‘आप’ की जीत हुई थी जबकि आम आदमी पार्टी का चौथा प्रत्याशी हार गया था।
भाजपा के 3 प्रत्याशी
- कमलजीत सहरावत – जीत
- गजेंद्र दराल – जीत
- पंकज लूथरा – जीत
‘आप’ के 4 प्रत्याशी
- मोहिनी जिंद्वाल – जीत
- सारिका चौधरी – हार
- आमिल मलिक – जीत
- रमींद्र कौर – जीत
लेकिन आम आदमी पार्टी इसे मान नहीं मान रही है, ऐसे में विवाद खिंचता जा रहा है। अब 27 तारीख को फिर चुनाव की बात हुई है, होते हैं या नहीं, ये आने वाले दिनों में साफ होगा।