मनोज जरांगे का आमरण अनशन स्थगित, मराठा आरक्षण मुद्दे पर शिंदे सरकार को दिया 2 जनवरी तक का समय
जालना/मुंबई, 2 नवम्बर। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर पिछले नौ दिनों से आमरण अनशन पर बैठे मनोज जरांगे पाटिल सीएम एकनाथ शिंदे सरकार से मिले आश्वासन के बाद एक बार फिर मान गए। उन्होंने गुरुवार की रात अपना आमरण अनशन स्थगित करते हुए कहा, ‘इस बार मराठा आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने के लिए मैं महायुति सरकार को आखिरी मौका दे रहा हूं।’
‘यह आखिरी अल्टीमेटम, आरक्षण पूरे मराठा समाज को दिया जाना चाहिए‘
मनोज जरांगे ने मराठा आरक्षण पर फैसला लेने के लिए राज्य सरकार को दो जनवरी, 2024 तक का समय दिया है। उन्होंने कहा कि एक बार और समय देने में कोई हर्ज़ नहीं है। लेकिन यह आखिरी अल्टीमेटम है और यह आरक्षण पूरे मराठा समाज को दिया जाना चाहिए। फिलहाल जरांगे पाटिल के मान जाने से शिंदे सरकार ने राहत की सांस ली है। मराठा आरक्षण को लेकर राज्य में जारी हिंसा से महायुति सरकार महासंकट में फंस गई थी। फिलहा लएक बड़ा संकट टल गया है।
पूर्व जस्टिस शिंदे की अगुवाई में पहुंची टीम
दिलचस्प यह रहा कि जरांगे पाटिल को मनाने के लिए पूर्व जस्टिस संदीप शिंदे की अगुआई में एक टीम जालना पहुंची थी। उनके साथ महायुति सरकार में शामिल तीनों दलों के कैबिनेट मंत्री शामिल थे। इस दौरान जस्टिस शिंदे ने जरांगे पाटिल को कई दस्तावेज दिखा कर उन्हें विश्वास दिलाया कि मराठा आरक्षण को लेकर गंभीरता से काम किया जा रहा है। उनके साथ कैबिनेट मंत्री धनंजय मुंडे, उदय सामंत और अतुल सावे व संदीपान भुमरे ने भी अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की। आखिरकार सरकारी टीम की कोशिश रंग लाई और जरांगे पाटिल सरकार को कुछ और समय देने के लिए राजी हो गए।
जरांगे पाटिल ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि किसी की दिवाली खराब न हो। इसको ध्यान में रखते हुए मैंने सरकार को कुछ और समय देने का फैसला किया है। उन्होंने यह भी कहा कि आरक्षण की यह लड़ाई न्याय मिलने तक जारी रहेगी।
कैबिनेट मंत्री धनंजय मुंडे ने शीतकालीन सत्र में ठोस निर्णय लेने का दिया आश्वासन
इस बीच कैबिनेट मंत्री धनंजय मुंडे ने जरांगे पाटिल को आश्वासन दिया, ‘हमारी सरकार दिसम्मबर महीने में होने वाले विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में मराठा आरक्षण पर गंभीरता से चर्चा करेगी और ठोस निर्णय लेगी। हम मराठा समाज को टिकाऊ आरक्षण देना चाहते हैं। लेकिन इसमें थोड़ा समय लगेगा।’
महाराष्ट्र में पहली बार CM शिंदे ने इस्तेमाल किया ये दांव
कुल मिलाकर देखें तो मराठा आरक्षण के मुद्दे विपक्ष के हमले झेल रहे सीएम शिंदे अपनी कूटनीति से मनोज जरांगे पाटिल की हड़ताल खत्म कराने में सफल रहे। राज्य में ऐसा पहली बार हुआ, जब कानून के विशेषज्ञ खुद भूख हड़ताल तुड़वाने के लिए पहुंचे और सीएम शिंदे का दांव सफल रहा।
अंतरवाली में जब तीन पूर्व न्यायाधीशों की जरांगे से मुलाकात सकारात्मक रही तो इसके बाद चार मंत्रियों की टीम ने जरांगे से मुलाकात की और मराठा आरक्षण के मुद्दे पर संवेदनशीलता और सूझबूझ से काम लेकर सीएम शिंदे अपनी रणनीति में सफल रहे। मराठा आरक्षण के दौरान जिस तरह की हिंसा सामने आने लगी थी, वह शिंदे सरकार के लिए चुनौती बन रही थी। विपक्ष ने गृह मंत्री का विभाग संभाल रहे उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी थी।