महाराष्ट्र : सीएम फडणवीस ने ‘सिंदूर पुल’ का किया उद्घाटन, बोले – ‘गुलामी की निशानी को हटा रहे’
मुंबई, 10 जुलाई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को मुंबई में ‘सिंदूर पुल’ का उद्घाटन किया। यह ब्रिज पहले कार्नैक ब्रिज के नाम से जाना जाता था। उन्होंने इस अवसर पर मीडिया से बातचीत में कहा, “आज बहुत खुशी की बात है कि मुंबई में ‘सिंदूर पुल’ का उद्घाटन हो रहा है। हम सभी जानते हैं कि पुराना कार्नैक ब्रिज बहुत जर्जर हालत में था, इसलिए उसे तोड़ दिया गया था और उसकी जगह एक नया ब्रिज बनाया गया है।”
Sindoor Flyover: Bridging History, Honour & Mumbai’s Infra Future!
For over 150 years, this bridge was known as Carnac Bridge, named after a British governor who oppressed Indians. In the spirit of Azadi Ka Amrit Mahotsav and Hon. PM Narendra Modi Ji’s vision to remove colonial… https://t.co/GtSEKNIRuQ pic.twitter.com/XUlZGciVhA
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) July 10, 2025
सीएम फडणवीस ने कहा, “कार्नैक ब्रिज का नाम ‘सिंदूर ब्रिज’ इसलिए किया गया कि यह ब्रिटिश गवर्नर के नाम पर पड़ा था, जिन्होंने हिन्दुस्तानियों पर बहुत अत्याचार किया था, खासकर सतारा के प्रताप सिंह राजे और नागपुर के उद्धव राजे को अलग-अलग षड्यंत्र में फंसाने का प्रयास किया। इतना ही नहीं, कई लोगों को जान से मारने का काम उन्होंने किया, इसलिए हमने अत्याचारी गवर्नर का नाम बदलकर सिंदूर का नाम देने का निर्णय लिया। हम सभी जानते हैं कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतवासियों के मन में बसा हुआ है। इस ऑपरेशन के तहत भारत ने पहली बार अपनी ताकत को दिखाया और पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को खत्म करने का काम किया।”
🕚 11.06am | 10-7-2025📍Mumbai.
LIVE | Media Interaction#Mumbai #Maharashtra https://t.co/PJs4Ql9D53
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) July 10, 2025
देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का जिक्र करते हुए कहा, ‘पीएम मोदी ने बार-बार यह कहा है कि स्वतंत्रता के अमृतकाल में गुलामियों की निशानी को मिटाकर हमें अपनी निशानियों को तरजीह देनी है। इसी सिलसिले को जारी रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।’
उल्लेखनीय है कि दक्षिण मुंबई के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों को जोड़ने वाले इस ब्रिज का नाम तत्कालीन बंबई प्रांत के पूर्व गवर्नर जेम्स रिवेट कार्नैक के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने 1839 से 1841 तक इस पद पर कार्य किया था। अब इस पुल का नाम बदलकर (ऑपरेशन सिंदूर पर) ‘सिंदूर ब्रिज’ कर दिया गया है।
