लंदन अदालत का आदेश गुण-दोष पर आधारित नहीं, कर्नाटक हाईकोर्ट ने केएसआरटीसी के पक्ष में फैसला सुनाया
बेंगलुरु, 24 जुलाई। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि एक ब्रिटिश दंपती द्वारा लंदन की अदालत के फैसले के आधार पर दायर निष्पादन याचिका लागू किए जाने के योग्य नहीं है क्योंकि लंदन की अदालत ने यह फैसला गुण-दोष के आधार पर नहीं दिया है। दंपती 2002 में भारत में यात्रा के दौरान दुर्घटना का शिकार हो गया था। उन्होंने ब्रिटेन की अदालत में कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरअीसी) पर मुकदमा कर मुआवजे की मांग की थी जिसने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था।
दंपति ने इसके बाद ब्रिटेन की अदालत के आदेश को भारत में लागू कराने का प्रयास किया लेकिन न्यायमूर्ति एच. पी. सन्देश ने 14 जुलाई को अपने फैसले में इसे अमान्य घोषित कर दिया। अदालत ने कहा कि विदेशी अदालत ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया। केएसआरटीसी नोटिस का जवाब दिया था लेकिन विदेशी अदालत ने इस पर विचार नहीं किया।
कर्नाटक की अदालत ने कहा, ‘‘रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री को संज्ञान में लेने पर यह पता चलता है कि अदालत ने कारणों को दर्ज करते समय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया है। और बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि अपीलकर्ता के आवेदन के आधार पर क्षेत्राधिकार के संबंध में मुद्दे पर निर्णायक रूप से फैसला किया गया। इसे देखते हुए विदेशी अदालत द्वारा पारित आदेश निष्कर्षात्मक नहीं है और गुण-दोष के आधार पर नहीं है और इसलिए इसे निष्पादित नहीं किया जा सकता है।’’
इंग्लैंड के सरे में ओल्ड कॉल्सडन गांव के निगेल रोडरिक लॉयड हैराडाइन और कैरोल एन हैराडाइन 18 मार्च, 2002 को भारत में थे और कार से मैसूर से गुंडलुपेट जा रहे थे। यह कार को उन्होंने सोमक ट्रैवेल्स लिमिटेड से किराए पर ली और रवि नामक व्यक्ति इसका चालक था। कार एक केएसआरटीसी बस की चपेट में आ जाने से दुर्घटनाग्रस्त हो गई। दंपति ने कथित दुर्घटना के संबंध में ब्रिटेन के एक्सेटर काउंटी कोर्ट के समक्ष वाद दायर किया, जिसने उनकी याचिका स्वीकार कर ली और केएसआरटीसी को मुआवजा देने का निर्देश दिया।
इसके बाद, उन्होंने बेंगलुरु के सत्र न्यायाधीश के समक्ष ब्रिटेन की अदालत के फैसले के आधार पर एक निष्पादन याचिका दायर की। ब्रिटेन की अदालत के फैसले को चुनौती देने वाले केएसआरटीसी के आवेदन को दीवानी अदालत ने खारिज कर दिया, जिसके कारण केएसआरटीसी ने उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने कहा कि विदेशी अदालत द्वारा जारी नोटिस पर दिए गए केएसआरटीसी के जवाब पर विदेशी अदालत के फैसले में विचार नहीं किया गया।