वाराणसी, 17 नवम्बर। धार्मिक नगरी वाराणसी में गुरुवार से काशी-तमिल संगमम् की शुरुआत हो गई। तमिलनाडु से प्रतिनिधियों का पहला दल देर रात वाराणसी पहुंचेगा। एक महीने तक चलने वाले इस संगमम् का आयोजन केंद्र सरकार आजादी का अमृत महोत्सव और एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना बनाए रखने के लिए कर रही है।
शिक्षा मंत्रालय में भारतीय भाषाओं के संवर्धन के लिए बनी उच्च अधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष और जानमाने शिक्षाविद् प्रोफेसर चामु कृष्णा शास्त्री ने गुरुवार को बताया कि काशी-तमिल संगमम भाषायी स्तर पर दो अलग-अलग क्षेत्र के लोगों को जोड़ेगा।
प्रोफेसर कृष्णा शास्त्री ने बताया कि तमिलनाडु का प्रतिनिधिमंडल काशी विश्वनाथ मंदिर, अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर और प्रयागराज का दौरा भी करेगा तथा वाराणसी में प्रसिद्ध गंगा आरती में शामिल होगा।
पीएम मोदी 19 को करेंगे औपचारिक उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम का शनिवार को औपचारिक उद्घाटन करेंगे। काशी-तमिल संगमम् का उद्देश्य देश के दो महत्वपूर्ण शिक्षण पीठों – तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने सम्पर्कों को नए सिरे से स्थापित करना है।
इसका उद्देश्य शोधार्थियों, विद्यार्थियों, दार्शनिकों, व्यापारियों, शिल्पकारों और कलाकारों को साथ लाने, ज्ञान, संस्कृति और परम्पराओं को साझा करने तथा एक-दूसरे के अनुभवों से सीखना भी है। यह आयोजन भारतीय ज्ञान संपदा को ज्ञान की आधुनिक प्रणाली से जोड़ने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों के अनुरूप है।
इसी क्रम में काशी आईं एक तमिल पर्यटक अर्चना रामचंद्रन ने वाराणसी के विकास के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया और कहा कि काशी-तमिल संगमम् दोनों संस्कृतियों को एक साथ लाएगा।