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कैलाश मानसरोवर यात्रा इस वर्ष जून से अगस्त के बीच होगी, हर जत्थे में होंगे 50 श्रद्धालु

कैलाश मानसरोवर यात्रा इस वर्ष जून से अगस्त के बीच होगी, हर जत्थे में होंगे 50 श्रद्धालु

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नई दिल्ली, 26 अप्रैल। बहुप्रतीक्षित कैलाश मानसरोवर यात्रा इस वर्ष जून से अगस्त के बीच होगी। दो रास्तों से जत्थे के रूप में श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाएंगे और हर जत्थे में 50 श्रद्धालु होंगे। विदेश मंत्रालय (MEA) ने शनिवार को इस आशय की घोषणा की।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस वर्ष पांच जत्थे उत्तराखंड राज्य से लिपुलेख दर्रे को पार करते हुए जाएंगे जबकि 10 जत्थे सिक्किम राज्य से नाथू ला दर्रे को पार करते हुए यात्रा करेंगे। हर जत्थे में 50 यात्री होंगे।

आवेदन स्वीकार करने के लिए kmy.gov.in वेबसाइट खोली गई

बयान में कहा गया है कि आवेदन स्वीकार करने के लिए kmy.gov.in वेबसाइट खोल दी गई है। वहीं यात्रियों का चयन आवेदकों में से निष्पक्ष चयन प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। ऑनलाइन आवेदन से लेकर यात्रियों के चयन तक की पूरी प्रक्रिया 2015 से पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत कर दी गई है। आवेदकों को जानकारी प्राप्त करने के लिए पत्र या फैक्स भेजने की जरूरत नहीं है। मंत्रालय ने कहा, ‘वेबसाइट पर फीडबैक विकल्पों का उपयोग सूचना प्राप्त करने, टिप्पणियां दर्ज करने या सुधार के लिए सुझाव देने के लिए किया जा सकता है।’

कोविड-19 सहित अन्य कारणों से 2020 से स्थगित है यात्रा

उल्लेखनीय है कि भारत और चीन इस वर्ष की शुरुआत से ही यात्रा को फिर से शुरू करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दे रहे थे। कोविड-19 प्रकोप और उसके बाद चीनी पक्ष द्वारा यात्रा व्यवस्थाओं का नवीनीकरण न करने के कारण 2020 से कैलाश मानसरोवर यात्रा नहीं हुई है।

भारत सरकार जून और सितम्बर के बीच उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा (1981 से) और सिक्किम में नाथू ला दर्रा (2015 से) के दो आधिकारिक मार्गों के माध्यम से यात्रा का आयोजन करती है। इस वर्ष जनवरी में विदेश सचिव-उप विदेश मंत्री के तहत आयोजित बैठक के बाद दोनों पक्षों ने 2025 की गर्मियों में यात्रा फिर से शुरू करने की योजना की घोषणा की थी।

बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था। इसमें भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की व्यापक समीक्षा की गई और संबंधों को स्थिर करने और पुनर्निर्माण के लिए कुछ जन-केंद्रित कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की गई। अक्टूबर, 2024 में कजान में उनकी बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सहमति हुई थी।

पिछले माह बीजिंग में भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के बीच आधिकारिक परामर्श के बाद यह घोषणा की गई थी कि कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने का काम जारी है। विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने चीनी विदेश मंत्रालय के एशियाई मामलों के विभाग के महानिदेशक लियू जिनसोंग के साथ परामर्श बैठक की थी। इस दौरान दोनों पक्षों ने रणनीतिक दिशा को लागू करने के लिए उनके द्वारा की गई कार्रवाई की समीक्षा की और साथ ही जनवरी 2025 में विदेश सचिव और चीनी उप विदेश मंत्री के बीच बैठक में संबंधों को स्थिर और पुनर्निर्माण करने के लिए सहमत हुए विशिष्ट कदमों की भी समीक्षा की।

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘इन उच्चस्तरीय बैठकों ने संबंधों को स्थिर करने तथा आगे विकसित करने के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया है।’ उन्होंने लोगों के बीच आपसी आदान-प्रदान को और अधिक सुविधाजनक बनाने तथा बढ़ावा देने के प्रयासों को जारी रखने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें सीधी उड़ानें पुनः शुरू करने मीडिया और थिंक टैंकों के बीच संपर्क तथा राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाने की व्यवस्था करना शामिल है। दोनों पक्षों ने 2025 में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने के तौर-तरीकों पर आगे प्रगति की है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने इस वर्ष नियोजित आदान-प्रदान और गतिविधियों का भी जायजा लिया तथा चरणबद्ध तरीके से वार्ता तंत्र को पुनः आरंभ करने पर चर्चा की ताकि एक-दूसरे के हित और चिंता के प्राथमिक क्षेत्रों को संबोधित किया जा सके तथा संबंधों को अधिक स्थिर और पूर्वानुमानित पथ पर आगे बढ़ाया जा सके।

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