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वक्फ बिल पर JDU के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा बोले – नीतीश कुमार जब तक हैं, सभी के हितों की रक्षा होगी

वक्फ बिल पर JDU के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा बोले – नीतीश कुमार जब तक हैं, सभी के हितों की रक्षा होगी

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नई दिल्ली, 1 अप्रैल। लोकसभा में बुधवार को वक्फ बिल के पेश होने से पहले राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। इसी क्रम में केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली एनडीए सरकार के सहयोगी घटक दल जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने वक्फ बिल पर सफाई दी है।

जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय झा ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में कहा, ‘हमें उम्मीद है कि वक्फ बिल को पूर्व की तारीख से लागू नहीं किया जाएगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब तक राजनीति में हैं, तब तक सभी लोगों के हितों की रक्षा की जाएगी।

संजय झा ने कहा, ‘नीतीश कुमार बिहार में बीते 19 वर्षों से काम कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लिए जो कार्य किए, वो नजर आते हैं। हमारी पार्टी ने कहा था कि इस बिल को पूर्व की तरह लागू नहीं किया जाना चाहिए। हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस पर विचार करेगी।‘ उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बिल पहली बार संसद में नहीं आ रहा है बल्कि 2013 में भी संशोधित बिल लाया गया था।

वक्फ बिल पर जेडीयू में खींचतान

गौरतलब है कि मोदी सरकार के वक्फ संशोधन बिल पर नीतीश की पार्टी जेडीयू में सियासी हंगामा मचा हुआ है। पार्टी का एक धड़ा (मुस्लिम नेता) इस बिल का विरोध कर रहा है। वहीं, अन्य नेता इस पर उदारवादी रवैया अपनाते हुए नजर आ रहे हैं। जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस ने वक्फ बोर्ड को धार्मिक मुद्दा बताते हुए संशोधन बिल का विरोध किया। एक दिन पहले उन्होंने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से भी मुलाकात की थी।

बुधवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा वक्फ बिल

वक्फ संशोधन बिल को लोकसभा में बुधवार को चर्चा के लिए पेश किया जाएगा। भाजपा ने तीन लाइन का ह्विप जारी कर अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने को कहा है। वहीं तमाम विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं। मुस्लिम संगठनों द्वारा पिछले दिनों देशभर में इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन भी किए गए। पिछले वर्ष, आठ अगस्त को भी यह बिल लोकसभा में पेश हुआ था। उस समय हंगामे के बाद यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था। जेपीसी ने सभी हितधारकों और पार्टियों के साथ चर्चा के बाद अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की थी।

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