इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा – चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब मानवयुक्त मिशन ‘गगनयान’ की बारी
बेंगलुरु, 24 अगस्त। भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने गुरुवार को कहा कि अब देश के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन यानी ‘गगनयान’ की बारी है। उन्होंने कहा कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम प्रगति पर है यह मिशन संभवतः 2025 तक होगा।
एस सोमनाथ ने कहा कि इसरो चालक दल मॉड्यूल की कार्यप्रणाली और चालक दल की भागने की क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए सितम्बर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत में गगनयान कार्यक्रम का पहला चरण आयोजित करने की संभावना है। इसके बाद कई परीक्षण मिशन चलाए जाएंगे और अंततः गगनयान कार्यक्रम का तीसरा चरण संचालित किया जा सकेगा।
देश का पहला सौर मिशन ‘आदित्य-एल1‘ सितम्बर में लॉन्च के लिए तैयार
इसरो प्रमुख ने भारत के पहला अंतरिक्ष आधारित सौर मिशन, ‘आदित्य-एल1’ के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि आदित्य-एल1 सूर्य के लिए एक मिशन है और सितम्बर में लॉन्च के लिए तैयार हो रहा है।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट के रूप में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को इसलिए चुना
सोमनाथ ने उन कारणों के बारे में भी बताया कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट के रूप में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को क्यों चुना। उन्होंने कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का एक विशिष्ट लाभ है कि यह सूर्य से कम प्रकाशित होता है और उस क्षेत्र में अधिक वैज्ञानिक सामग्री होने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में जबर्दस्त रुचि दिखाई है क्योंकि अंततः अंतरिक्ष यात्रा सभी का लक्ष्य है।
गगनयान के अलावा ये हैं इसरो के अगले प्रमुख मिशन
आदित्य-एल1 (Aditya–L1)
आदित्य-एल1 सूरज का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का सौर मिशन है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु के आसपास प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है, जो पृथ्वी से करीब 1.5 मिलियन किमी दूर है।
प्रमुख उद्देश्य
- कोरोनल हीटिंग और सोलर विंड अक्सेलरेशन को समझना।
- कोरोनल मास इजेक्शन, फ्लेयर्स और पृथ्वी अंतरिम मौसम की शुरुआत को समझना।
- सौर वातावरण के कपलिंग और डायनामिक्स को समझना।
- सौर पवन वितरण और तापमान अनिसोट्रॉपी को समझना।
निसार (NISAR)
निसार एक निम्न-पृथ्वी कक्षा वेधशाला है, जिसे नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जाएगा। निसार पूरे विश्व का मानचित्रण करेगा। साथ ही पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र, बर्फ द्रव्यमान, वनस्पति बायोमास, समुद्र स्तर में बढ़ोतरी, भूकंप, सुनामी और ज्वालामुखी सहित प्राकृतिक खतरों को समझने के लिए डेटा प्रदान करेगा।
स्पैडेक्स (SPADEX)
स्पैडेक्स एक अंतरिक्ष यान मिशन है। इस अभियान में दो आईएमएस-क्लास (200 किग्रा) उपग्रह शामिल होंगे। एक चेजर और दूसरा टारगेट। दोनों अंतरिक्ष यानो को अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा।
प्रमुख उद्देश्य
- स्वायत्त मिलन और डॉकिंग।
- डॉक किए गए कॉन्फिगरेशन में अंतरिक्ष यान को दूसरे यान की रवैया नियंत्रण प्रणाली के साथ कंट्रोल करना।
- रिमोट रोबोटिक आर्म ऑपरेशन।
मंगलयान-2 (Mangalyaan-2)
मंगलयान-2 इसरो का दूसरा इंटरप्लेनेटरी मिशन है। एजेंसी की योजना मिशन को 2024 तक लॉन्च करने की है। मार्स ऑर्बिटर मिशन में कथित तौर पर एक हाइपरस्पेक्ट्रल कैमरा, एक हाई रिजॉल्यूशन पंचक्रोमैटिक कैमरा, मार्टियन क्रस्ट, बेसाल्ट और बोल्डर गिरने को समझने के लिए एक रडार शामिल होगा।