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आईओए अध्यक्ष पीटी उषा नाखुश, बोलीं – पहलवानों का सड़क पर प्रदर्शन अनुशासनहीनता, भारत की छवि को ठेस

आईओए अध्यक्ष पीटी उषा नाखुश, बोलीं – पहलवानों का सड़क पर प्रदर्शन अनुशासनहीनता, भारत की छवि को ठेस

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नई दिल्ली, 27 अप्रैल। गुजरे जमाने की महान धाविका और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की मौजूदा अध्यक्ष पी.टी. उषा ने प्रदर्शनकारी पहलवानों पर नाराजगी जाहिर करते हुए गुरुवार को कहा कि सड़कों पर प्रदर्शन अनुशासनहीनता है और इससे देश की छवि खराब हो रही है।

उल्लेखनीय है कि विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक सहित देश के कई शीर्ष पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न और पहलवानों को धमकाने के आरोपों के साथ तीन माह के भीतर दूसरी बार लगातार चार दिनों से जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं।

आईओए को पहलवानों के आरोपों पर अपनी जांच अभी पूरी करनी है जबकि सरकार द्वारा गठित निगरानी पैनल की जांच को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। तीन महीने के लंबे इंतजार से निराश पहलवानों ने 23 अप्रैल से जंतर मंतर पर फिर से धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया और डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष की गिरफ्तारी को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। स्पष्ट है पहलवानों के इस कदम से आईओए खुश नहीं है।

‘पहलवानों को सड़कों पर उतरने की बजाय हमारे पास आना चाहिए था

उषा ने आईओए की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘यौन उत्पीड़न की शिकायतों को लेकर हम उनकी भावनाएं समझते हैं। आईओए की एक समिति और खिलाड़ी आयोग है। सड़कों पर उतरने की बजाय उन्हें हमारे पास आना चाहिए था, लेकिन उनमें से कोई भी आईओए के पास नहीं आया।’

उषा से पूछा गया कि क्या आईओए पहलवानों से संपर्क करेगा क्योंकि वे इस बात पर अड़े हैं कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वे प्रदर्शन स्थल नहीं छोड़ेंगे, उन्होंने कहा, ‘थोड़ा तो अनुशासन होना चाहिए। हमारे पास आने की बजाय वे सीधे सड़कों पर उतर गए, यह खेल के लिए अच्छा नहीं है।’

हम देश के नियम और कानून से काम करेंगे – आईओए संयुक्त सचिव कल्याण चौबे

आईओए के संयुक्त सचिव कल्याण चौबे ने कहा, ‘आईओए अध्यक्ष पीटी उषा यह कहना चाहती हैं कि इस तरह का आंदोलन देश की छवि के लिए अच्छा नहीं है। विश्व स्तर पर भारत की अच्छी साख है। यह नकारात्मक प्रचार देश के लिए अच्छा नहीं है। हम केवल पहलवानों ही नहीं बल्कि उन सभी खिलाड़ियों के साथ रहना चाहते हैं, जो भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन हम देश के नियम और कानून के तहत ऐसा करना चाहते हैं।’

व्यथित बजरंग पुनिया बोले – उषा से इस तरह की कड़ी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी

टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया ने कहा कि आईओए के अध्यक्ष का बयान चौंकाने वाला है। बजरंग ने कहा, ‘वह स्वयं खिलाड़ी रही हैं और वह महिला भी हैं। हमें उनसे इस तरह की कड़ी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी। हमें उनसे समर्थन की उम्मीद थी।’

उन्होंने कहा, ‘अगर आईओए को लगता है पहलवानों की न्याय की मांग से देश की छवि धूमिल हो रही है तो फिर तब क्या हुआ था, जब वह अपनी अकादमी के कुछ लोगों के सताने पर अपनी व्यथा बयां करते हुए रो पड़ी थी।’ यह पहलवान उस घटना का जिक्र कर रहा था जब इस साल फरवरी में संवाददाता सम्मेलन में केरल स्थित अपनी अकादमी में उत्पीड़न की बात करते हुए अपने आंसू नहीं रोक पाई थी।

चौबे बोले – हम जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं ले सकते

कल्याण चौबे से जब पूछा गया कि क्या पहलवानों को सड़कों पर उतरने से पहले जांच पूरी होने का इंतजार करना चाहिए था, उन्होंने कहा, ‘आरोप गंभीर हैं और हम जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं ले सकते। यदि हम थोड़ा संयम बरत सकते हैं और समिति की जांच का इंतजार कर सकते हैं तब हम प्रतिक्रिया कर पाएंगे। अभी हमने केवल कुश्ती महासंघ के दैनिक कामकाज को लेकर ही चर्चा की।’

अभी कई गवाहों को जांच समिति के सामने उपस्थित होना है

आईओए के संयुक्त सचिव ने इसके साथ ही पुष्टि की कि अभी कई गवाहों को जांच समिति के सामने उपस्थित होना है। उन्होंने कहा, ‘जांच अभी चल रही है। हमें बताया गया है कि समिति के पास गवाहों की एक सूची है और समिति उन्हें आमंत्रित करेगी और वे आयोग के समक्ष उपस्थित होंगे।’

आईओए ने देश में कुश्ती के संचालन के लिए गठित कर रखी है तदर्थ समिति

गौरतलब है कि आईओए ने कुश्ती महासंघ के कामकाज के संचालन के लिए चुनाव होने तक एक तदर्थ समिति का गठन किया है, जिसमें पूर्व निशानेबाज सुमा शिरूर, भारतीय वुशू संघ के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह बाजवा और उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत न्यायाधीश हैं, जिनका नाम अब तय नहीं हुआ है।

चौबे ने कहा, ‘भूपेंद्र सिंह बाजवा तदर्थ पैनल में आईओए कार्यकारी परिषद का प्रतिनिधित्व करेंगे जबकि सुमा शिरूर महिला खिलाड़ी हैं। वे कुश्ती महासंघ का दैनिक कामकाज देखेंगे। हमने न्यायाधीशों के नाम पर भी चर्चा की और उच्च न्यायालय का कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश इस समिति में शामिल होगा।’

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