राजस्थान में बवाल के बाद चौथे दिन भी इंटरनेट बंद : एथेनॉल फैक्ट्री के विरोध में तनाव बरकरार, पुलिस के डर से लोगों ने गुरुद्वारे में ली शरण
हनुमानगढ़, 12 दिसंबर। राजस्थना के हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी (राठीखेड़ा) क्षेत्र में ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री के विरोध में शुरू हुआ आंदोलन चौथे दिन भी शांत नहीं हुआ है। इलाके में शुक्रवार को भी इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं। प्रदर्शन और उपद्रव के मामले में पुलिस अब तक 107 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर चुकी है तथा 40 को हिरासत में लिया गया है।
शुक्रवार दोपहर 2 बजे टिब्बी के गुरुद्वारे में कोर कमेटी की अहम बैठक प्रस्तावित है। दूसरी ओर, महिलाओं ने पुलिस पर गोलियां चलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने गुरुद्वारा सिंह सभा में कथित गोलियों के खोल भी प्रस्तुत किए। तनाव के चलते कई लोग घरों पर ताले लगाकर रिश्तेदारों के यहां चले गए, जबकि कुछ ने गुरुद्वारा सिंह सभा में शरण ले रखी है। यहां घायल प्रदर्शनकारियों का इलाज भी चल रहा है।
दो दौर की वार्ता विफल, आरोप-प्रत्यारोप जारी
गुरुवार को किसानों और प्रशासन के बीच दो दौर की वार्ता बेनतीजा रही। एडीजी वी.के. सिंह ने कहा कि 10 दिसंबर तक हालात शांत थे, लेकिन बाहरी लोगों ने उपद्रव को हवा दी। वहीं, अखिल भारतीय किसान सभा के जिला महासचिव मंगेज चौधरी ने आरोप लगाया कि पुलिस के हथियार जंग लगे थे, वरना बड़ी जनहानि हो सकती थी। उन्होंने 17 दिसंबर को कलेक्ट्रेट घेराव की घोषणा की।
सादुलशहर विधायक गुरवीर सिंह बराड़ ने भी गुरुद्वारे पहुंचकर किसानों से संवाद किया। उधर, जोगाराम पटेल ने घटना को “प्रायोजित” बताया और कहा कि यह किसानों का आंदोलन नहीं, बल्कि बाहरी लोगों द्वारा किया गया हिंसक प्रदर्शन था। उन्होंने कहा कि सरकार वार्ता को तैयार है, लेकिन कानून हाथ में लेने वालों पर कार्रवाई जरूरी है।
क्या हुआ था 10 दिसंबर को?
बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने निर्माणाधीन फैक्ट्री की दीवार तोड़कर अंदर प्रवेश किया और ऑफिस में आग लगा दी। इसके बाद पुलिस व किसानों में तीखी झड़प और पथराव हुआ। कांग्रेस विधायक समेत 70 से अधिक लोग घायल हुए। कई घायल रातभर गुरुद्वारे में रुके। क्षेत्र में अब भी इंटरनेट बंद है और फैक्ट्री के आसपास के 30 से अधिक परिवार अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं।
लोगों की दुहाई—“हमारी जमीन, हवा और पानी बचा लो”
सुखजीत कौर ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ मारपीट की। उन्होंने कहा कि फैक्ट्री शुरू हुई तो प्रदूषण बढ़ेगा और स्वास्थ्य संकट खड़ा होगा—दमा, कैंसर और त्वचा रोग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ेगा। बलविंद्र कौर ने कहा कि आंदोलन को 16 महीने हो चुके हैं। उन्होंने बार-बार प्रशासन से गुहार लगाई कि फैक्ट्री मंजूर न की जाए क्योंकि प्रदूषित पानी जमीन में जाएगा और भूजल पीने योग्य नहीं रहेगा।
