
भारत का रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपए, मेक इन इंडिया पहल से बढ़ावा
नई दिल्ली, 25 मार्च । भारत का रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 1.27 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। यह मेक इन इंडिया पहल से प्रेरित होकर 2014-15 से 174% की वृद्धि दर्शाता है। रक्षा बजट में 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपए से 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपए तक की वृद्धि, सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए देश के दृढ़ संकल्प को उजागर करती है।
देश अब स्वदेशी विनिर्माण में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में स्थापित
दरअसल, देश का रक्षा उत्पादन “मेक इन इंडिया” पहल के शुभारंभ के बाद से असाधारण गति से बढ़ा है। कभी विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर रहने वाला हमारा देश अब स्वदेशी विनिर्माण में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में स्थापित हो चुका है और अब घरेलू क्षमताओं के माध्यम से अपनी सैन्य ताकत को आकार दे रहा है। यह बदलाव आत्मनिर्भरता के प्रति मजबूत वचनबद्धता को दर्शाता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि भारत न केवल अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करे, बल्कि एक मजबूत रक्षा उद्योग का निर्माण भी करे जो आर्थिक विकास में योगदान देता हो।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और आधुनिकीकरण के लिए सरकार है प्रतिबद्धता
आत्मनिर्भरता और आधुनिकीकरण के लिए यह प्रतिबद्धता सरकार की हाल ही में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) द्वारा एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) की खरीद को दी गई मंजूरी में परिलक्षित होती है, जो सेना की मारक क्षमता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सौदे में 155 मिमी/52 कैलिबर की 307 इकाइयों के साथ 327 हाई मोबिलिटी 6×6 गन टोइंग वाहन शामिल हैं।
यह 7,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से भारतीय-स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित व निर्मित (आईडीडीएम) श्रेणी के तहत 15 आर्टिलरी रेजिमेंटों को सुसज्जित करेंगे। भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ डीआरडीओ द्वारा विकसित एटीएजीएस एक अत्याधुनिक तोपखाना प्रणाली है, जिसमें 40+ किलोमीटर रेंज, उन्नत फायर कंट्रोल, सटीक लक्ष्यीकरण, स्वचालित लोडिंग तथा रिकॉइल प्रबंधन है, जिसका भारतीय सेना द्वारा सभी इलाकों में गहन परीक्षण किया गया है।
स्वदेशी रक्षा उत्पादन में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि हासिल की
गौरतलब हो, सभी रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू), रक्षा वस्तुएं बनाने वाली अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और निजी कंपनियों के आंकड़ों के अनुसार, देश का रक्षा उत्पादन का मूल्य बढ़कर 1,27,265 करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपये से 174% की प्रभावशाली वृद्धि दर्शाता है।
देश का रक्षा उत्पादन “मेक इन इंडिया” पहल के शुभारंभ के बाद से असाधारण गति से बढ़ा
आपको बता दें, इस वृद्धि को मेक इन इंडिया पहल से बल मिला है, जिसने धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम, एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस), मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) अर्जुन, लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल्स, हाई मोबिलिटी व्हीकल्स, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच), लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच), आकाश मिसाइल सिस्टम, वेपन लोकेटिंग रडार, 3डी टैक्टिकल कंट्रोल रडार और सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एसडीआर) सहित उन्नत सैन्य प्लेटफार्मों के विकास को सक्षम किया है।
इसके साथ ही विध्वंसक, स्वदेशी विमान वाहक, पनडुब्बियां, फ्रिगेट, कोरवेट, फास्ट पेट्रोल वेसल, फास्ट अटैक क्राफ्ट तथा ऑफशोर पेट्रोल वेसल जैसी नौसैनिक संपत्तियां भी विकसित की हैं।
65 प्रतिशत रक्षा उपकरण घरेलू स्तर पर बन रहें हैं
अब 65% रक्षा उपकरण घरेलू स्तर पर निर्मित किए जाते हैं, जो पहले की 65-70% आयात निर्भरता से एक महत्वपूर्ण बदलाव है। एक मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार में 16 डीपीएसयू, 430 से अधिक लाइसेंस प्राप्त कंपनियां और लगभग 16,000 एमएसएमई शामिल हैं, जो स्वदेशी उत्पादन क्षमताओं को मजबूत करते हैं। वहीं, निजी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो कुल रक्षा उत्पादन में 21% का योगदान देता है और नवाचार एवं दक्षता को बढ़ावा देता है। भारत ने 2029 तक रक्षा उत्पादन में 3 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है, जिससे वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में इसकी स्थिति मजबूत होगी।
रक्षा निर्यात में अभूतपूर्व बढ़ोतरी
भारत का रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 में 686 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 21,083 करोड़ रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है, जो पिछले एक दशक की तुलना में 30 गुना वृद्धि को दर्शाता है। रक्षा निर्यात में साल-दर-साल 32.5% की बढ़ोतरी हुई, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 15,920 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 21,083 करोड़ रुपए हो गया।
भारत के विविध निर्यात पोर्टफोलियो में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (डीओ-228) विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तीव्र गति की इंटरसेप्टर नौकाएं और हल्के वजन वाले टारपीडो शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि ‘मेड इन बिहार’ का उपयोग अब रूसी सेना के साजो-सामान का हिस्सा है, जो भारत के उच्च विनिर्माण मानकों को दर्शाता है।
भारत अब 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता हैं
भारत अब 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है, जिसमें 2023-24 में अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया शीर्ष खरीदार के रूप में उभरे। सरकार का लक्ष्य 2029 तक रक्षा निर्यात को 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाना है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत की भूमिका मजबूत होगी।
रक्षा क्षेत्र में विकास और नवाचार को बढ़ावा देने में सरकारी पहल
आपको बता दें, हाल के वर्षों में, केंद्र सरकार ने देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने और आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से कई परिवर्तनकारी गतिविधियों को क्रियान्वित किया है। ये उपाय निवेश आकर्षित करने, घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने और खरीद प्रक्रियाओं को सुचारू बनाने के लिए तैयार किए गए हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमाओं को उदार बनाने से लेकर स्वदेशी उत्पादन को प्राथमिकता देने तक, ये पहल भारत के रक्षा औद्योगिक आधार को मजबूत करने की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
निम्नलिखित बिन्दु उन प्रमुख सरकारी पहलों को रेखांकित करते हैं, जो रक्षा क्षेत्र में विकास और नवाचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।
उदारीकृत एफडीआई नीति– विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए सितंबर 2020 में रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को उदार बनाया गया था, जिससे स्वचालित मार्ग से 74% तक और सरकारी मार्ग से 74% से अधिक एफडीआई की अनुमति मिल गई। अप्रैल 2000 से रक्षा उद्योग में कुल एफडीआई 21.74 मिलियन डॉलर है।
टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स– अक्टूबर 2024 में सी-295 विमान के निर्माण के लिए वडोदरा में टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया गया, जिससे कार्यक्रम के तहत 56 में से 40 विमान भारत में निर्मित होने के साथ रक्षा में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
मंथन– बेंगलुरु में एयरो इंडिया 2025 के दौरान आयोजित वार्षिक रक्षा नवाचार कार्यक्रम मंथन ने रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों के प्रमुख नवप्रवर्तकों, स्टार्टअप्स, एमएसएमई, शिक्षाविदों, निवेशकों तथा उद्योग जगत के अधिकारियों को एक साथ लाया, जिससे तकनीकी प्रगति और आत्मनिर्भर भारत के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता में विश्वास की पुष्टि हुई।
रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना (डीटीआईएस)- डीटीआईएस का उद्देश्य एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में आठ ग्रीनफील्ड परीक्षण और प्रमाणन सुविधाएं स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके स्वदेशीकरण को बढ़ावा देना है, जिसमें मानव रहित हवाई प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स तथा संचार जैसे क्षेत्रों में सात परीक्षण सुविधाएं पहले से ही स्वीकृत हैं।
घरेलू खरीद को प्राथमिकता– रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी)-2020 के तहत घरेलू स्रोतों से पूंजीगत वस्तुओं की खरीद पर जोर दिया गया है।
घरेलू खरीद आवंटन– रक्षा मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आधुनिकीकरण बजट का 75% यानि 1,11,544 करोड़ रुपये घरेलू उद्योगों के माध्यम से खरीद के लिए निर्धारित किया है।
दरअसल, रक्षा उत्पादन और निर्यात में भारत की उल्लेखनीय प्रगति इसके आत्मनिर्भर तथा विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी सैन्य विनिर्माण केंद्र के रूप में परिवर्तन को रेखांकित करती है। रणनीतिक नीतिगत हस्तक्षेप, घरेलू भागीदारी में वृद्धि और स्वदेशी नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने से देश की रक्षा क्षमताओं में काफी तेजी आई है।