भारत की दो टूक – कश्मीर मुद्दे पर किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं, सिर्फ PoK लौटाने पर पाकिस्तान से होगी बात
नई दिल्ली, 11 मई। भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिकी मध्यस्थता से सीमा पर भले ही संघर्ष विराम हो चुका है, लेकिन कूटनीतिक जंग अब भी जारी है। इस क्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम का न सिर्फ स्वागत किया वरन कश्मीर के ‘हजारों साल’ पुराने मुद्दे पर मध्यस्थता का भी ऑफर भी दे दिया। वहीं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिका के इस प्रस्ताव का स्वागत भी किया। लेकिन भारत ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि कश्मीर मुद्दे पर उसे किसी भी मध्यस्थता का प्रस्ताव स्वीकार नहीं है।
विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारत का साफ कहना है कि कश्मीर के मुद्दे पर हमारा रुख साफ है और किसी भी तीसरे पक्ष की दखल स्वीकार नहीं है। पाकिस्तान यदि आतंकियों को सौंपना चाहता है तो बातचीत के दरवाजे जरूर खुले हैं। इसके साथ ही भारत ने स्पष्ट शब्दों में यह भी कहा कि सिर्फ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को वापस करने के मुद्दे पर बातचीत की जा सकती है। इसके अलावा किसी अन्य मुद्दे पर बातचीत की गुंजाइश नहीं है और न ही हम किसी की मध्यस्थता चाहते हैं।
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि वह कश्मीर विवाद का समाधान खोजने के लिए दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हैं, जिसे उन्होंने ‘हज़ार साल’ से चल रहा मुद्दा बता दिया। ट्रंप की यह टिप्पणी उनके उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौता करवाया है।
शहबाज ने ट्रंप के प्रस्ताव का किया स्वागत
ट्रंप के इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान सरकार ने एक बयान में कहा, ‘हम राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से जम्मू और कश्मीर विवाद के समाधान के लिए प्रयासों का समर्थन करने की इच्छा जताने की भी सराहना करते हैं, यह एक लंबा मुद्दा है, जिसका दक्षिण एशिया और उसके बाहर शांति और सुरक्षा पर गहरा असर है।’ इस्लामाबाद ने आगे जोर देकर कहा, ‘सरकार फिर से दोहराती है कि जम्मू और कश्मीर विवाद का कोई भी न्यायसंगत और स्थायी समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के मुताबिक होना चाहिए और कश्मीरी लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।’
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के समझौते के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि उनका मानना है कि दोनों देशों के बीच व्यापक मुद्दों- जिनमें कश्मीर, जल बंटवारा और अन्य विवादास्पद मामले शामिल हैं, का भी समाधान किया जाना चाहिए।
वहीं भारत ने शुरू से ही कश्मीर के मुद्दे पर किसी भी तरह की मध्यस्थता को खारिज किया है और उसका मानना है कि यह दो देशों के बीच का मामला है। लेकिन अब ज्यादा सख्त रुख अपनाते हुए भारत की ओर से यह साफ किया गया है कि कश्मीर बातचीत का मुद्दा ही नहीं है, अब बात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को लौटने पर होगी या फिर पाकिस्तान आतंकियों को सौंपे, तब बातचीत की जा सकती है।
