जम्मू-कश्मीर : 7 वर्षों में कश्मीरी पंडितों के सिर्फ 17 फीसदी घरों का काम पूरा हो सका
नई दिल्ली, 20 मार्च। जम्मू-कश्मीर में 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ अत्याचार और उनके पलायन के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने वर्ष 2015 में पीड़ितों के लिए प्रधानमंत्री विकास पैकेज की घोषणा की थी। उसके तहत केंद्र सरकार ने पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य में कश्मीरी प्रवासियों के लिए आवास सुविधा के अलावा 3,000 सरकारी नौकरियों के सृजन को मंजूरी दी थी।
3,000 घोषित नौकरियों में से 1,739 पद भरे गए
फिलहाल केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले सात वर्षों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास का सिर्फ 17 फीसदी ही पूरा हो सका है और तीन हजार सृजित नौकरियों में से अब तक 1,739 प्रवासियों को नियुक्त किया गया है और 1,098 अन्य को नौकरियों के लिए चुना गया है।
कश्मीरी प्रवासियों के लिए 6,000 ट्रांजिट आवास की घोषणा की गई थी
अंग्रेजी दैनिक ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में उन सदस्यों के लिए 6,000 ट्रांजिट आवास की भी घोषणा की गई थी, जिन्हें जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा 920 करोड़ की लागत से नौकरी प्रदान की जानी थी। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष फरवरी तक केवल 1,025 घरों का निर्माण आंशिक या पूर्ण रूप से पूरा हुआ था जबकि 50 प्रतिशत से अधिक घरों का काम शुरू होना बाकी था।
सभी ट्रांजिट आवास इकाइयों का निर्माण 2023 तक पूरा होने की उम्मीद
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गत नौ मार्च को राज्यसभा में शिवसेना सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी को लिखे एक पत्र में कहा था कि उम्मीद है कि सभी ट्रांजिट आवास इकाइयों का निर्माण 2023 तक पूरा हो जाएगा।
मंत्री ने कहा कि 1,488 इकाइयों पर काम पूरा होने के विभिन्न चरणों में है। 2,744 इकाइयों के लिए निविदाओं को अंतिम रूप दे दिया गया है और शेष इकाइयों के संबंध में निविदा प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
जम्मू-कश्मीर में 64,827 पंजीकृत प्रवासी परिवार हैं
2020 के संसदीय पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में 64,827 पंजीकृत प्रवासी परिवार हैं, जिनमें 60,489 हिन्दू परिवार, 2,609 मुस्लिम परिवार और 1,729 सिख परिवार शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि 64,827 परिवारों में से 43,494 परिवार जम्मू में पंजीकृत हैं जबकि 19,338 दिल्ली में और 1,995 परिवार अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बसे हैं। 43,494 प्रवासी परिवारों में से 5,248 परिवार प्रवासी शिविरों में रह रहे हैं।
गौरतलब है कि बढ़ते आतंकवादी हमलों और समुदाय के खिलाफ हिंसा के आह्वान के कारण 1990 के बाद से बड़ी संख्या में पंडितों को कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा खत्म करने के साथ ही जम्मू और कश्मीर अगस्त, 2019 में एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया था।
वर्ष 2008 में मनमोहन सिंह सरकार द्वारा प्रवासियों के लिए इसी तरह के रोजगार पैकेज की घोषणा की गई थी, जिसके तहत स्वीकृत 3,000 नौकरियों में से 2,905 नौकरियों को भरा गया था।