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शारदीय नवरात्र 2023 : हाथी पर आगमन और मुर्गा पर प्रस्थान करेंगी माता, नवमी-दशमी एक ही दिन

शारदीय नवरात्र 2023 : हाथी पर आगमन और मुर्गा पर प्रस्थान करेंगी माता, नवमी-दशमी एक ही दिन

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वाराणसी, 14 अक्टूबर। शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदम्बा की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस बार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 15 अक्टूबर को मिल रही है। इस दिन से ही नवरात्रि के अनुष्ठान आरंभ होंगे। किसी तिथि का क्षय न होने से इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिनों का है, लेकिन 23 अक्टूबर को दोपहर 3.10 बजे तक ही नवमी मिल रही है। इस अवधि में दुर्गा पाठ का हवन और कन्या पूजनादि किया जाएगा। दशमी का मान भी इसी दिन होगा।

हाथी पर आगमन, मुर्गा पर प्रस्थान करेंगी माता

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री के अनुसार शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन हाथी पर ही रहा है। इसका फल सुवृष्टि या अधिक वर्षा है। वहीं माता का गमन मुर्गा पर हो रहा है, जिसका फल आम जनमानस में व्याकुलता, व्यग्रता आदी है। ज्योतिष चंद्रिका के प्रकीर्ण प्रकरण में शारदीय नवरात्र में देवी के वाहन और उसके फल के बारे में सविस्तार उल्लेख है।

21 को महानिशा पूजन, 22 को महाष्टमी व्रत

नवरात्रि में देवी पूजन के अंतर्गत 20 अक्टूबर शुक्रवार को षष्ठी तिथि में विल्वाभिमंत्रण किया जाएगा। वहीं 21 अक्टूबर शनिवार को सप्तमी तिथि में पत्रिका प्रवेश, सरस्वती आवाहन, देवी प्रतिमाओं की पंडालों में प्रतिष्ठा पूजन के साथ ही महानिशा पूजन होगा। महाष्टमी व्रत और देवी अन्नपूर्णा की परिक्रमा 22 अक्टूबर रविवार को की जाएगी। महानवमी व्रत और पाठ का पूजन हवन 23 को किया जाएगा।

रविवार को दोपहर में कलश स्थापना

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के सदस्य प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय के अनुसार इस बार प्रतिपदा तिथि में शाम 6.43 बजे तक चित्रा नक्षत्र और दोपहर 11.55 बजे तक वैधृति योग है। कलश स्थापना अभिजिन्मुहूर्त में किया जाएगा। यह अवधि पूर्वाह्न 11.38 से मध्याह्न बाद 12.33 बजे तक है। इसमें ही कलश की स्थापना पूजनादि होंगे।

नवरात्रि का समापन 23 अक्टूबर को महानवमी पूजन से होगा। इसी दिन सायंकाल दशमी भी मनाई जाएगी। वहीं ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार, 23 को ही अपराह्न कालिक दशमी मिलने से इसी दिन शमी पूजन, अपराजिता पूजन, सीमोल्लंघन, नीलकंठ दर्शन, जयंती ग्रहण समेत विजय दशमी से संबंधित धार्मिक कार्य होंगे। पारन उदयकालिक दशमी में 24 अक्टूबर को किया जाएगा। साथ ही पंडालों में स्थापित देवी प्रतिमाएं विसर्जित की जाएंगी।

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