नेपाल में आपस में ही भिड़े Gen-Z के गुट, अंतरिम पीएम के नाम को लेकर मचा घमासान
काठमांडू, 11 सितम्बर। नेपाल में Gen-Z के हिंसक प्रदर्शनों के कारण सत्तापलट के साथ राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अंतरिम सरकार के गठन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है। केपी ओली ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दिया और तब से अंतरिम पीएम को लेकर कई नामों पर सियासी पारा चढ़ा हुआ है।
आर्मी हेडक्वार्टर के बाहर भिड़े युवा
दिलचस्प तो यह है कि केपी शर्मा ओली को पीएम की गद्दी से उतरने के लिए बाध्य करने के बाद नेपाल के युवा अब अंतरिम प्रधानमंत्री के नाम पर बंटे हुए नजर आ रहे हैं। आर्मी हेडक्वार्टर के बाहर उम्मीदवारों के नाम पर युवाओं के बीच हाथापाई हुई।

अंतरिम पीएम की दौड़ में कई नाम हो चुके हैं शामिल
दरअसल, नौ सितम्बर को काठमांडू के मेयर और रैपर बैलेन शाह, 10 सितम्बर को पूर्व चीफ जस्टिस सुशील कार्की और 11 सितम्बर को कुलमन घीसिंग का नाम अंतरिम पीएम रेस में सबसे आगे रहा। अब इस लिस्ट में धरान के वर्तमान मेयर हरका राज संपांग राय उर्फ हरका संपांग का नाम भी शामिल हो गया है। पत्रकार से राजनेता बने रबी लामिछाने भी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं, जिन्हें विरोध प्रदर्शन के दौरान जेल से छुड़ाया गया था।
नेपाली मीडिया के अनुसार कई युवा चाहते हैं कि बालेन, सुशीला कार्की या संपांग को अंतरिम पीएम बनाया जाए, जिसे लेकर गुरुवार को युवाओं में झड़प भी हुई। हालांकि अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। फिलहाल Gen-Z, प्रतिनिधियों, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख के बीच बातचीत चल रही है।
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल की सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील
पौडेल ने कहा, ‘मैं सभी पक्षों से अपील करता हूं कि वे इस बात पर विश्वास रखें कि आंदोलनकारी नागरिकों की मांगों को पूरा करने के लिए समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकाला जा रहा है। संयम के साथ देश में शांति और व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें।’ कई लोगों को उम्मीद थी कि राष्ट्रपति इस घटना के बाद सार्वजनिक रूप से सामने आएंगे और राष्ट्र को संबोधित करेंगे।
आर्मी हेडक्वार्टर के बाहर इंतजार कर रहे युवा
एक अन्य मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सेना के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम अलग-अलग लोगों के साथ कई दौर की बातचीत कर रहे हैं। बातचीत मुख्य रूप से मौजूदा गतिरोध से बाहर निकलने और साथ ही देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने पर केंद्रित है। नया शासन प्रमुख वह होगा, जो एक निश्चित समय सीमा के भीतर नए चुनाव कराएगा।’ बैठक के दौरान सेना मुख्यालय के बाहर बड़ी संख्या में युवा बेसब्री से फैसला सुनने का इंतजार करते दिखे। इसी तरह की एक बैठक बुधवार को भी हुई थी, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला।
सेना ने कर दिया ‘खेला‘
फिलहाल आर्मी हेडक्वार्टर के बाहर Gen-Z समर्थकों के बीच आपस में ही मारपीट ने नए सवाल को जन्म दे दिया है। दक्षिणपंथी नेता और मेडिकल कारोबारी दुर्गा प्रसाई को बातचीत के लिए आर्मी हेडक्वार्टर लाया गया। बताया जा रहा है कि उन्हें सेना ने बातचीत के लिए बुलाया है। इस खबर को सुनते ही युवाओं का गुस्सा और भड़क गया। इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं सेना अपने उम्मीदवार को रेस में तो नहीं ला रही।
