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पूर्व पाकिस्तानी डिप्लोमेट अब्दुल बासित का माइक पोम्पिओ को करारा जवाब, बोले – महान राष्ट्रवादी थीं सुषमा स्वराज

पूर्व पाकिस्तानी डिप्लोमेट अब्दुल बासित का माइक पोम्पिओ को करारा जवाब, बोले – महान राष्ट्रवादी थीं सुषमा स्वराज

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नई दिल्ली, 27 जनवरी। पूर्व पाकिस्तानी डिप्लोमेट अब्दुल बासित ने अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ पर करारा वार किया है, जिन्होंने अपनी किताब ‘नेवर गिव एन इंच: फाइटिंग फॉर अमेरिका आई लव’ में दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को लेकर कई विवादित कॉमेंट्स किए थे।

अब्बुल बासित ने पोम्पिओ की टिप्पणियों को लेकर स्पष्ट किया कि सुषमा स्वराज को लेकर किए गए पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री के दावे से वह सहमत नहीं हैं। किताब में पोम्पिओ ने कहा था कि उनकी मूल समकक्ष सुषमा स्वराज थीं, लेकिन वह भारतीय विदेश नीति टीम में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक प्लेयर नहीं थीं। हालांकि इस टिप्पणी को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खारिज कर दिया था।

अपने यूट्यूब चैनल में अब्दुल बासित ने कहा, ‘स्वर्गीय सुषमा स्वराज पर ऐसा कुछ कहना माइक पोम्पिओ को शोभा नहीं देता। मैं सुषमा स्वराज से कई बार मिला। वह एक महान राष्ट्रवादी और संसद में एक महान वक्ता थीं और बौद्धिक रूप से स्वस्थ थीं। इस तरह की टिप्पणियों के बारे में माइक पोम्पिओ ने खुद ही खुलासा किया। उन्होंने हामिद करजई और अशरफ गनी के बारे में भी ऐसी ही बातें कहीं। आप उनकी राजनीति से सहमत नहीं हो सकते, लेकिन ऐसी टिप्पणी करना निंदनीय है।’

परमाणु युद्ध का पोम्पिओ का दावा झूठा

माइक पोम्पिओ के इस दावे पर कि भारत और पाकिस्तान 2019 में परमाणु युद्ध के बेहद करीब थे, अब्दुल बासित ने कहा, ‘उन्होंने जो लिखा, उस पर विश्वास करना बहुत मुश्किल है। फिलहाल किताबें इस तरह लिखी जाती हैं कि वे बिक सकें। पोम्पिओ ने अपनी किताब में दावा किया है कि उन्हें इस बात से अवगत कराया गया था कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु युद्ध की तैयारी कर रहे हैं। मैं पाकिस्तान की दहलीज से वाकिफ हूं और उन्होंने जो दावा किया है, वह झूठा है। मुझे उम्मीद है कि भारत भी इस दावे को खारिज करता है।’

पोम्पिओ ने जयशंकर की प्रशंसा की थी

भारत के अपने समकक्षों के साथ अपने समीकरण को याद करते हुए, माइक पोम्पिओ ने जयशंकर की प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने तुरंत ही जयशंकर से मुलाकात कर ली थी। इसकी तुलना में, सुषमा स्वराज के साथ उनका समीकरण इतना अच्छा नहीं था।

उन्होंने किताब में लिखा, ‘भारतीय पक्ष में मेरी वास्तविक समकक्ष भारतीय विदेश नीति की टीम में महत्वपूर्ण प्लेयर नहीं थीं। उनकी जगह मैंने एनएसए अजीत डोभाल के साथ ज्यादा करीब से काम किया, जोकि पीएम मोदी के करीबी और विश्वसनीय हैं। मेरे दूसरे भारतीय समकक्ष सुब्रह्मण्यम जयशंकर थे। मई 2019 में, हमने भारत के नए विदेश मंत्री के रूप में जयशंकर का स्वागत किया। मुझे वह काफी पसंद आए। अंग्रेजी उन सात भाषाओं में से एक है, जो वह बोलते हैं और मुझसे भी बेहतर है।’

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