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विदेश मंत्रालय ने भारत-पाक‍ सीजफायर पर ट्रंप के दावों को फिर किया खारिज, कहा – ‘ट्रेड का मुद्दा नहीं उठा’

विदेश मंत्रालय ने भारत-पाक‍ सीजफायर पर ट्रंप के दावों को फिर किया खारिज, कहा – ‘ट्रेड का मुद्दा नहीं उठा’

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नई दिल्ली, 29 मई। भारत सरकार ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को फिर खारिज कर दिया कि उन्होंने ट्रेड यानी व्यापार के बदले भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने में मदद की थी। सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हालिया सैन्य तनाव के दौरान दोनों देशों के बीच किसी भी चर्चा में व्यापार का मुद्दा नहीं उठा।

विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में एक बार फिर उन दावों को खारिज कर दिया कि भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू करने के बाद से दोनों देशों के बीच हुई वार्ताओं में अमेरिका के साथ व्यापार पर कोई चर्चा हुई है।

रणधीर जायसवाल ने कहा, “मैं आपको 13 मई को स्पष्ट की गई स्थिति के बारे में बताता हूं। सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू होने के बाद से इनमें से किसी भी चर्चा में ट्रेड या टैरिफ का मुद्दा नहीं आया। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भी स्पष्ट किया था कि यह सीधे डीजीएमओ के माध्यम से स्थापित किया गया था।”

पाकिस्तान के DGMO की ओर से आई थी संघर्ष विराम की अपील

जायसवाल ने आगे कहा कि संघर्ष विराम की अपील इस्लामाबाद से आई थी। खास तौर पर पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (DGMO) से आया था। उन्होंने दिल्ली में अपने समकक्ष से संपर्क किया था। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कोई अमेरिकी हस्तक्षेप नहीं था।

गत 13 मई की ब्रीफिंग में रणधीर जायसवाल ने कहा था कि भारत का दृढ़ रुख है कि वह परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा। इसका हवाला देकर सीमा पार आतंकवाद को संचालित करने की अनुमति नहीं देगा। उन्होंने कहा, ‘विभिन्न देशों के साथ बातचीत में हमने यह भी चेतावनी दी है कि इस तरह के परिदृश्यों को अपनाने से उन्हें अपने क्षेत्र में नुकसान हो सकता है।’

उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में मदद की है। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने परमाणु हथियार संपन्न दक्षिण एशियाई पड़ोसियों से कहा है कि अगर वे युद्ध बंद कर दें तो अमेरिका उनके साथ खूब व्यापार करेगा। लेकिन भारत का कहना है कि पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (DGMO) के संपर्क किए जाने के बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर विचार किया गया।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकवादी हमले के लगभग दो सप्ताह बाद भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (Pok) में आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। पहलगाम आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए थे। चार दिनों तक सीमा पार से ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान 10 मई को सैन्य टकराव रोकने पर सहमत हुए।

विदेश मंत्री जयशंकर भी अमेरिकी हस्तक्षेप की बात नकार चुके हैं

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी पिछले सप्ताह एक संसदीय समिति को अमेरिका के कथित हस्तक्षेप के बारे में स्पष्ट किया था कि सैन्य अभियान को रोकने का निर्णय पाकिस्तान की ओर से अनुरोध के बाद द्विपक्षीय रूप से लिया गया था। मंत्री ने विदेश मामलों की सलाहकार समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को तभी रोका गया, जब पाकिस्तान के डीजीएमओ ने इसे रोकने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच अमेरिकी मध्यस्थता का कोई सवाल ही नहीं है।

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