हिन्दी के प्रख्यात मार्क्सवादी आलोचक मैनेजर पाण्डेय का निधन, 81 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली, 6 नवम्बर। हिन्दी के प्रख्यात मार्क्सवादी आलोचक एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर मैनेजर पाण्डेय का रविवार सुबह यहां निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। मैनेजर पाण्डेय के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटियां भी हैं। उनका अंतिम संस्कार सोमवार अपराह्न चार बजे लोदी रोड स्थित शवदाह गृह में किया जाएगा।
नामवर सिंह के बाद की पीढ़ी के शीर्ष वामपंथी आलोचक थे
बिहार के गोपालगंज जिले के लोहाटी गांव में 23 सितम्बर, 1941 को जन्मे पाण्डेय दरअसल नामवर सिंह के बाद की पीढ़ी के शीर्ष वामपंथी आलोचक थे। नामवर सिंह ही पाण्डेय की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें 1977 में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग में लाए थे।
मैनेजर पाण्डेय की उनकी आरम्भिक शिक्षा गांव में तथा उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई, जहां से उन्होंने एमए और पीएचडी की उपाधियां प्राप्त कीं। वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भाषा संस्थान के भारतीय भाषा केन्द्र में हिन्दी के प्रोफेसर रहे। वह जेएनयू में भारतीय भाषा केन्द्र के अध्यक्ष भी थे। इसके पूर्व वह बरेली कॉलेज, बरेली और जोधपुर विश्वविद्यालय में भी प्राध्यापक रहे। उन्हें दिनकर सम्मान तथा हिन्दी अकादमी के शलाका सम्मान से नवाजा गया था।
‘मुगल बादशाहों की हिन्दी कविता‘ चर्चित कृति
वह भक्तिकाल और सूर साहित्य के विशेषज्ञ थे। ‘साहित्य और इतिहास दृष्टि’ तथा साहित्य में समाज शास्त्र भूमिका एवम ‘शब्द और कर्म’ पुस्तक से उनको ख्याति मिली थी। ‘मुगल बादशाहों की हिन्दी कविता’ उनकी चर्चित कृति थी। वह जन संस्कृति मंच के अध्यक्ष भी थे।
इस बीच जन संस्कृति मंच जनवादी लेखक संघ जैसे प्रमुख वामपंथी लेखक संगठनों तथा जाने-माने लेखकों ने मैनेजर पाण्डेय के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।