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यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल शुरू, महोबा में 10 कर्मचारी बर्खास्त

यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल शुरू, महोबा में 10 कर्मचारी बर्खास्त

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लखनऊ, 16 मार्च। उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारी तय कार्यक्रम के अनुसार गुरुवार की रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए। हड़ताल टालने के क्रम में ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने दिन में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों से वार्ता की, जो कोई नतीजा नहीं दे सकी। बिजली कर्मियों ने ऊर्जा मंत्री और संघर्ष समिति के बीच दिसम्बर, 2022 में हुए लिखित समझौते को लागू नहीं करने के विरोध में ही आंदोलनात्मक रुख अपना रखा है।

पुख्ता वैकल्पिक बंदोबस्त का दावा

दूसरी तरफ बिजलीकर्मियों की हड़ताल के दौरान विद्युत आपूर्ति में बाधा न आए, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्थाओं के साथ ही कानून-व्यवस्था के लिए पुलिस-प्रशासन की टीम को चौकस कर दिया गया है। लेकिन हड़ताल शुरू होते ही कई जिलों में स्थिति बिगड़ गई है।

इस बीच जिलों में बिजली सप्लाई में व्यवधान का कारण बन रहे कार्मिकों के खिलाफ पुलिस और प्रशासन द्वारा काररवाई शुरू कर दी गई है। संघर्ष समिति ने बताया कि महोबा में हड़ताली 10 बिजलीकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया। इनमें पांच संविदा और पांच आउटसोर्स कर्मचारी शामिल हैं।

व्यवधान डालने पर सख्त काररवाई

डीएम ने संविदा कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए हैं और संबंधित कम्पनी को काली सूची में डालने का आदेश भी दिया है। लखनऊ में ऊर्जा मंत्री से वार्ता विफल होने के बाद आंदोलनकारी बिजली कर्मियों ने डालीबाग स्थित फील्ड हास्टल में सभा की।

उत्पीड़न हुआ तो पूरे देश में 27 लाख बिजलीकर्मी करेंगे प्रतिकार

नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के राष्ट्रीय संयोजक प्रशांत चौधरी, आल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल पी. रत्नाकर राव, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरके. त्रिवेदी ने लखनऊ पहुंच कर आंदोलनकारी बिजली कर्मियों की सभा को संबोधित किया। इन राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे बिजली कर्मियों का उत्पीड़न किया गया तो देशभर के 27 लाख बिजलीकर्मी सशक्त प्रतिकार करेंगे।

समझौते के इन बिंदुओं को लागू कराना चाहते हैं बिजलीकर्मी

समझौते में कुछ प्रमुख बिंदुओं पर बनी सहमति में ऊर्जा निगमों के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक का चयन समिति द्वारा किया जाना, तीन पदोन्नति पदों के समयबद्ध वेतनमान के लिए आदेश किया जाना, बिजली कर्मियों के लिए पावर सेक्टर इम्पलाइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाना, पारेषण के विद्युत उपकेंद्रों के परिचालन व अनुरक्षण की आउटसोर्सिंग को बंद करना, नए विद्युत उपकेंद्रों का निर्माण पारेषण निगम से कराया जाना, निविदा/संविदा कर्मियों को अलग-अलग निगमों में मिल रहे मानदेय की विसंगति दूर कर समान मानदेय दिया जाना, भत्तों के पुनरीक्षण व वेतन विसंगतियों का निराकरण किया जाना प्रमुख है।

समझौते से इतर मांगों में प्रदेश को सबसे सस्ती बिजली उपलब्ध कराने वाले विद्युत उत्पादन निगम को ओबरा तथा अनपरा में 800-800 मेगावाट की दो-दो इकाइयों का काम दिया जाना भी है।

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