नई दिल्ली, 13 अगस्त। असम में 14 लोकसभा और 126 विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन मसौदे का भारी विरोध शुरू हो गया है। 1976 के बाद हो रहे परिसीमन की प्रक्रिया शुक्रवार को समाप्त हो गई। परिसीमन के अंतिम मसौदे में कई विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के इलाकों में कटौती किया गया है जबकि कई क्षेत्रों को खत्म कर दिया गया है और कई असेंबली सीटों को एससी-एसटी के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
बढ़ गईं SC-ST की आरक्षित सीटें
अंतिम परिसीमन मसौदे के अनुसार पांच विधानसभा क्षेत्रों को, जहां हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय से विधायक चुने जाते रहे हैं, अब अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इसी के साथ ST के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 16 से बढ़कर अब 19 हो गई है जबकि SC के लिए आरक्षित सीटें छह से बढ़कर आठ हो गई हैं।
असम गण परिषद के विधायक प्रदीप हजारिका का पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा
परिसीमन के अंतिम मसौदे का विरोध की पहली बानगी शनिवार को दिखी, जब सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद (एजीपी) के वरिष्ठ नेता और आमगुरी के विधायक प्रदीप हजारिका ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। हजारिका अमगुरी निर्वाचन क्षेत्र से जीजते थे। नई परिसीमन में उसे खत्म कर दिया गया है।
चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित अंतिम मसौदे के खिलाफ विपक्षी रायजोर दल ने शिवसागर जिले में विरोध प्रदर्शन किया तो ऑल तिवा स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने भी आदिवासियों के लिए मोरीगांव सीट आरक्षित करने की मांग पूरी नहीं होने पर प्रदर्शन किया है। लोकसभा और विधानसभा की सीटों में बदलाव नहीं किया गया है।
अंतिम परिसीमन मसौदे के अनुसार, निचले असम के सबसे पुराने जिले, गोलपारा में कई स्वदेशी परिवार चुनाव लड़ने का अपना अधिकार खो देंगे क्योंकि इन गैर-आदिवासी परिवारों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षित सीटों के इलाके में स्थानांतरित कर दिया गया है।
निचले असम में मुसलमानों पर लगेगा अंकुश
परिसीमन की नई कवायद मुसलमानों को गोलपाड़ा की चार विधानसभा सीटों में से दो पर चुनाव लड़ने से रोक देगी, जो अब एसटी के लिए आरक्षित कर दी गई हैं। नए सिरे से खींची गई सीमाओं के बीच बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच, सैकड़ों गैर-आदिवासी मूल के लोगों को इस वजह से राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल सकेगा। आरोप है कि असम में खासकर निचले असम में परिसीमन का उद्देश्य कथित तौर पर मुसलमानों की भूमिका को कम करना था।
मटिया सर्किल में मुस्लिम और हिन्दू एक-दूसरे से सटे रहते रहे हैं। पूर्वी गोलपारा की 10 ग्राम पंचायतों में से, लगभग पांच पंचायतों को पूरी तरह से एसटी-आरक्षित दुधनोई विधानसभा सीट के तहत लाया गया है जबकि बाकी को आंशिक रूप से दुधनोई के तहत लाया गया है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि कि लोगों की मांगों के अनुरूप अंतिम मसौदा तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि 2021 के चुनावी वादे में परिसीमन भी शामिल था।