डोनाल्ड ट्रंप ने कृषि उत्पादों पर जिद छोड़ी, भारत–अमेरिका ट्रेड डील पर मुहर जल्द
नई दिल्ली, 16 नवम्बर। भारत–अमेरिका के बीच कई दौर की वार्ताओं के बाद ट्रेड डील लगभग तैयार और इस माह के अंत तक इसके औपचारिक एलान की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कृषि उत्पादों पर अपनी जिद छोड़ दी है। दोनों देशों के बीच लगातार बातचीत के बाद भारत भी अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए अपने बाजार को आंशिक रूप से खोलने को तैयार हो गया है।
इसी क्रम में अमेरिका भी भारत पर लागू पेनाल्टी टैरिफ वापस लेने को तैयार है जबकि दोनों देशों ने हाल के महीनों में बढ़ी व्यापारिक तनातनी को कम करने पर सहमति जताई है। खासकर, रूस से तेल खरीद पर लगे शुल्क संबंधी विवाद सुलझने के बाद समझौते का रास्ता साफ हुआ है।
पेनाल्टी टैरिफ हटेंगे, दोतरफा बातचीत तेज
अधिकारियों का कहना है कि पेनाल्टी टैरिफ हटाना इस डील का अहम हिस्सा होगा। अमेरिका ने पहले भारतीय निर्यातों पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगाया था, जिसमें 25 फीसदी हिस्सा पेनाल्टी के तौर पर रूस से तेल खरीद से जुड़ा था। अक्टूबर में भारत की रूस से आयात में गिरावट के बाद यह विवाद व्यावहारिक रूप से खत्म हो गया।
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी साफ कहा कि दोनों देश ‘फेयर ट्रेड डील’ के करीब हैं, जो ऊर्जा व्यापार और निवेश को नई दिशा देगा। दोनों पक्ष अब पारस्परिक टैरिफ दरें तय करने में जुटे हैं, जिनके लिए 12–15 फीसदी और 15–19 फीसदी के दो स्लैब पर विचार चल रहा है।
सोयाबीन, कॉर्न और डेयरी उत्पादों का रास्ता खुलेगा
डील के तहत भारत अब अमेरिकी सोयाबीन और कॉर्न को ड्यूटी-फ्री या कम शुल्क पर आयात करने पर सहमत हुआ है। यह सोयाबीन नॉन-जेनिटिकली मॉडिफाइड श्रेणी में होगी, जिसे भारत उद्योग से सीधे खरीदने की योजना बना रहा है। वहीं, अमेरिकी कॉर्न का इस्तेमाल भारत एथेनॉल उत्पादन के लिए करेगा, जिससे घरेलू ऊर्जा रणनीति को मदद मिलेगी।
डेयरी उत्पादों पर हालांकि सख्त शर्तें रहेंगी। इस कड़ी में भारत केवल सीमित और प्रोसेस्ड आइटम की अनुमति देगा, तरल दूध पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। कृषि आयात इस वार्ता का सबसे संवेदनशील हिस्सा रहा, लेकिन अब अधिकतर मुद्दों पर सहमति बन चुकी है।
उद्योग, कृषि और ऊर्जा व्यापार को मिलेगी नई रफ्तार
दोनों देशों ने आयात योग्य उत्पादों की सूची भी लगभग तय कर ली है, जिससे औद्योगिक और कृषि व्यापार में नई तेजी आएगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सौदा भारतीय उद्योगों को अमेरिकी बाजार तक आसान पहुंच देगा जबकि अमेरिकी कृषि क्षेत्र के लिए भारत एक बड़ा उपभोक्ता बाजार बनेगा। ऊर्जा व्यापार खासकर एलएनजी और कच्चे तेल में भी बढ़ोतरी की उम्मीद है। इस डील से भारत को कच्चे माल की बेहतर उपलब्धता मिलेगी जबकि अमेरिका को स्थिर, दीर्घकालिक बाजार। कुल मिलाकर, यह व्यापार समझौता दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक ‘विन–विन’ स्थिति बन सकता है।
