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टोक्यो पैरालंपिक : चक्का प्रक्षेपक विनोद को नहीं मिलेगा कांस्य पदक, तकनीकी आधार पर अयोग्य घोषित

टोक्यो पैरालंपिक : चक्का प्रक्षेपक विनोद को नहीं मिलेगा कांस्य पदक, तकनीकी आधार पर अयोग्य घोषित

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टोक्यो, 30 अगस्त। टोक्यो पैरालंपिक खेलों में सोमवार को एक तरफ भारतीय एथलीटों ने एक स्वर्ण सहित चार पदक जीते तो दूसरी तरफ एक आघात भी लगा, जब 24 घंटे पूर्व चक्का प्रक्षेप F52 स्पर्धा में तीसरे स्थान पर रहे विनोद कुमार को तकनीकी आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसके साथ ही वह कांस्य पदक से वंचित रह गए।

स्पर्धा के बाद विनोद का पदक होल्ड पर रखा गया था

गौरतलब है कि रविवार को हुई स्पर्धा के बाद विरोध के चलते मेडल को होल्ड पर रखा गया था। अब फैसला हुआ है कि विनोद को वह मेडल नहीं दिया जाएगा। टोक्यो पैरालंपिक के तकनीकी प्रतिनिधि ने यह तय किया है कि विनोद कुमार डिस्कस थ्रो (F52 क्लास) के लिए योग्य श्रेणी में नहीं आते।

विनोद के विकार के वर्गीकरण पर जताया गया था विरोध

दरअसल, विनोद कुमार के विकार के वर्गीकरण पर विरोध जताया गया, जिसके बाद मेडल रोक दिया गया। बीएसएफ के 41 वर्षीय जवान विनोद कुमार ने 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से तीसरा स्थान हासिल किया था। वह पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे रहे, जिन्होंने क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किए थे।

लेकिन नतीजों के बाद एफ52 के उनके क्लासिफिकेशन पर आपत्ति जताई गई। आयोजकों ने अब एक बयान में कहा, “एनपीसी (राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति) भारत के एथलीट विनोद कुमार को पैनल ‘स्पोर्ट क्लास’ आवंटित नहीं कर पाया और खिलाड़ी को ‘क्लासिफिकेशन पूरा नहीं किया’ (सीएनसी) चिह्नित किया गया। पैनल के अनुसार एथलीट पुरुषों की एफ52 चक्का फेंक स्पर्धा के लिए अयोग्य है और स्पर्धा में उसका नतीजा अमान्य है।”

इन विकारों वाला एथलीट ही कर सकता है भागीदारी

एफ52 स्पर्धा में वे ही एथलीट हिस्सा लेते हैं, जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है और उनके मूवमेंट सीमित होते हैं, हाथों में विकार होता है या पैर की लंबाई में अंतर होता है, जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं। रीढ़ की हड्डी में चोट वाले या ऐसे खिलाड़ी भी इसी वर्ग में हिस्सा लेते हैं,जिनका कोई अंग कटा हो।

वस्तुतः पैरा खिलाड़ियों को उनके विकार के आधार पर वर्गों में रखा जाता है। क्लासिफिकेशन प्रणाली में उन खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति मिलती है, जिनका विकार एक सा होता है। आयोजकों ने गत 22 अगस्त को विनोद का क्लासिफिकेशन किया था।

लेह की चोटी से गिरने के बाद लगभग एक दशक तक बिस्तर पर रहे थे विनोद

विनोद के पिता भी सेना में थे और 1971 भारत-पाक युद्ध में लड़े थे। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में जुड़ने के बाद ट्रेनिंग करते हुए विनोद लेह में एक चोटी से गिर गए थे, जिससे उनके पैर में चोट लगी थी। इस कारण वह लगभग एक दशक तक बिस्तर पर रहे थे और इसी दौरान उनके माता-पिता दोनों का देहांत हो गया था। उनकी स्थिति में 2012 में तनिक सुधार हुआ और पैरा खेलों में उनका अभियान 2016 रियो खेलों के बाद शुरू हुआ। उन्होंने रोहतक के भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र में अभ्यास शुरू किया और राष्ट्रीय प्रतियोगिता में दो बार कांस्य पदक जीते।

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