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दिल्ली : डीआईपी ने आम आदमी पार्टी को जारी की 163.62 करोड़ की वसूली की नोटिस

दिल्ली : डीआईपी ने आम आदमी पार्टी को जारी की 163.62 करोड़ की वसूली की नोटिस

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नई दिल्ली, 12 जनवरी। दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रचार निदेशालय (डीआईपी) ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को 2015 में जारी सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के कथित उल्लंघन में विज्ञापनों पर खर्च किए गए 163.62 करोड़ रुपये की वसूली के लिए नोटिस जारी की है। सूचना एवं प्रचार निदेशालय ने चेतावनी दी कि अगर पार्टी 10 दिनों के भीतर पैसा जमा नहीं करती है तो आप मुख्यालय को भी सील किया जा सकता है।

10 दिनों में पैसा नहीं जमा किया तो सील किया जा सकता है आप मुख्यालय

राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार नोटिस ज्यादातर दिल्ली के बाहर प्रकाशित विज्ञापनों पर खर्च किए गए पैसे से संबंधित है। दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय कुमार सक्सेना ने गत 20 दिसम्बर को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए विज्ञापनों पर खर्च किए गए 97 करोड़ रुपये वसूलने का निर्देश दिया था।

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एलजी सक्सेना के आदेश के अनुसार कानूनी काररवाई में पार्टी संपत्तियों की कुर्की शामिल हो सकती है। 163.62 करोड़ रुपये में मार्च, 2017 तक 99.31 करोड़ रुपये की मूल राशि और 64.31 रुपये करोड़ का ब्याज शामिल है। एलजी सक्सेना के आदेश में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय पैनल के निष्कर्षों का हवाला दिया गया, जिसने सितम्बर, 2016 में निष्कर्ष निकाला कि दिल्ली सरकार विज्ञापनों पर करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग करने के लिए दोषी है।

राशि जमा नहीं कराने पर संपत्ति कुर्की सहित कानूनी काररवाई का एलजी का आदेश

पैनल ने कहा कि सत्तारूढ़ ‘आप’ को धन की प्रतिपूर्ति करनी चाहिए। उप राज्यपाल ने राशि जमा नहीं कराने पर संपत्ति कुर्क करने सहित कानूनी काररवाई के निर्देश दिए। उन्होंने 2019 के बाद जारी विज्ञापनों की जांच के भी आदेश दिए। कुल मिलाकर देखें तो यह नोटिस एलजी सक्सेना और ‘आप’ सरकार के बीच झगड़े को बढ़ाने के लिए तैयार है। ‘आप’ सरकार के खिलाफ कई जांचों सहित वे पहले से ही आपस में भिड़े हुए हैं।

आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने एलजी के आदेश को अवैध करार दिया

वहीं ‘आप’ के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने विज्ञापनों को लेकर दिसम्बर में दिए गए एलजी सक्सेना के आदेश को अवैध बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि उप राज्यपाल के पास पैसा वसूल करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा था, ‘आदेश का कोई कानूनी मूल्य नहीं है। हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गोवा सहित भाजपाशासित सभी राज्य और राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारें दिल्ली के अखबारों में भी अपनी योजनाओं के विज्ञापन छपवाती रही हैं।’

एलजी को कानून की कोई समझ नहीं है और कोई शर्म नहीं

उन्होंने यह भी कहा था कि भाजपाशासित राज्यों ने दिल्ली में 22,000 करोड़ रुपये के विज्ञापन प्रकाशित किए हैं। जब भाजपा खजाने में 22,000 करोड़ रुपये वापस करेगी, तो हम सरकारी खजाने में 97 करोड़ रुपये का भुगतान करेंगे। उन्होंने एलजी सक्सेना पर निशाना साधते हुए कहा था कि उन्हें कानून की कोई समझ नहीं है और कोई शर्म नहीं है।

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