
दिल्ली के एलजी सक्सेना का हाई कोर्ट से अनुरोध – ‘आप’ और उसके नेताओं को अपमानजनक टिप्पणियां करने से रोकें
नई दिल्ली, 22 सितम्बर। दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह आम आदमी पार्टी (आप) और उसके नेताओं को उनके (एलजी) और उनके परिवार के खिलाफ ‘फर्जी’ आरोप लगाने पर रोक लगाए।
न्यायमूर्ति अमित बंसल ने मामले में करीब दो घंटे सुनवाई की और वादी सक्सेना को अंतरिम राहत देते हुए इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया। ‘आप’ और उसके नेताओं ने सक्सेना पर आरोप लगाया है कि खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष रहते हुए वह 1,400 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल थे।
‘आप‘ और उसके 5 नेताओं से मुआवजे के रूप में मयब्याज 2.5 करोड़ की मांग की
सक्सेना ने हाई कोर्ट ये यह भी अनुरोध किया कि अदालत ‘आप’ और उसके नेताओं – आतिशी सिंह, सौरभ भारद्वाज, दुर्गेश पाठक, संजय सिंह और जैशमीन शाह को निर्देश दे कि वे उनके खिलाफ सोशल मीडिया तथा अन्य मंचों पर लगाए गए फर्जी और अपमानजनक आरोपों, ट्वीट और वीडियो आदि को डिलीट करें। उन्होंने ‘आप’ और उसके पांच नेताओं से मुआवजे के रूप में 2.5 करोड़ रुपये और उस पर ब्याज की मांग की है।
एलजी वी.के. सक्सेना के अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह ट्विटर और यू-ट्यूब (गूगल इंक) को वादी और उनके परिवार के सदस्यों को टैग करके किए गए ट्वीट, रि-ट्वीट, पोस्ट, वीडियो व तस्वीरों के साथ लिखे टैगलाइन को अपने-अपने मंचों से हटाने निर्देश दे।
‘आप‘ की दलील – तथ्यात्मक बयानों का अब तक किसी ने खंडन नहीं किया
वहीं, ‘आप’ और उनके नताओं के अधिवक्ता ने दलील दी कि यह तथ्यात्मक बयान है कि सक्सेना के केवीआईसी के अध्यक्ष पद पर रहने के दौरान उनकी बेटी को खादी का ठेका दिया गया, जो नियमों के खिलाफ था तथा किसी ने इस बयान का खंडन नहीं किया है।