नई दिल्ली, 7 अप्रैल। दिल्ली हाई कोर्ट ने कोविड-19 या उससे उबरने के एक माह के अंदर होने वाले संक्रमण से मरने वालों के परिजनों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग यह कहते हुए खारिज कर दी है कि इससे देश दिवालिया हो जाएगा। यह फैसला जून, 2021 में डॉ. विद्योत्तमा झा द्वारा दायर एक रिट याचिका पर आया है, जिसमें महामारी के पीड़ितों को मुआवजा देने की नीति की मांग की गई थी।
हाई कोर्ट की टिप्पणी – इससे तो पूरा देश ही दिवालिया हो जाएगा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की खंडपीठ ने शुरुआत में टिप्पणी की कि पूरा देश दिवालिया हो जाएगा। हाई कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों के परिवारों को मुआवजे के भुगतान के संबंध में पहले से ही एक नीति है और इसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी है।
एनडीएमए के दिशानिर्देशों के तहत कोरोना से मौत पर 50 हजार रु. की अनुग्रह राशि तय
गौरतलब है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा तैयार दिशानिर्देशों के अनुसार, कोविड-19 मौतों के लिए अनुग्रह राशि 50,000 रुपये तय की गई है, जिसका भुगतान राज्यों द्वारा राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष से किया जाएगा।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘हमारे विचार से कोविड-19 के कारण मारे गए लोगों के परिवारों को एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान करने का निर्देश देने का अधिकार इस अदालत के पास नहीं है।’
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) ने कोविड-19 महामारी के कारण मरने वालों के परिजनों को अनुग्रह मुआवजे के भुगतान के लिए पहले से ही एक समान नीति तैयार की है। अदालत ने पहले से ही नीति लागू होने का हवाला देते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया।