विपक्षी गठबंधन में उभरी दरार? ममता के बाद हेमंत सोरेन ने भी नीति आयोग की बैठक में शामिल होने को तैयार
नई दिल्ली, 26 जुलाई। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के घटक दलों की एकजुटता में फिर दरार उभरती प्रतीत हो रही है। दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद अब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी नीति आयोग की बैठक में शामिल होने का एलान कर दिया है।
इसके पूर्व I.N.D.I.A. ब्लॉक के नेताओं ने शनिवार (27 जुलाई) को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में प्रस्तावित नीति आयोग की बैठक के बहिष्कार का निर्णय लिया था। इस निर्णय में तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री भी शामिल थें। हालांकि धीरे-धीरे अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री ने बैठक में हिस्सा लेने का निर्णय ले लिया है और अन्य सहयोगी दल बैठक में शामिल होने का एलान कर रहे हैं।
केंद्र को बताऊंगी कि बजट में किस तरह बंगाल को वंचित किया गया – ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शामिल होने को लेकर कहा, ‘मैंने पहले ही सोच लिया था कि मैं इस बैठक में जाऊंगी, लेकिन केंद्र सरकार का रवैया बता रहा है कि वो नहीं चाहते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार द्वारा हमसे पत्र लिखकर पूछा गया है कि किस तरह से बंगाल को बजट से वंचित किया गया है। हम उनके इस रवैये को स्वीकार नहीं करते। केंद्र सरकार द्वारा हमारे साथ भेदभाव किया गया है। इसलिए मैं इस बैठक में जाऊंगी और यदि मौका मिलता है तो हम अपनी बातें भी रखेंगे।’
‘बंगाल को और बंगाल के लोगों को बांटना चाहती है भाजपा‘
ममता बनर्जी ने कहा, ‘इस बैठक में हेमंत सोरेन भी आने वाले हैं। हम अपनी चिंताओं के बारे में सरकार को बताएंगे।’ उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने राजनीतिक और आर्थिक नाकेबंदी की है। ये लोग (भाजपा) बंगाल को और यहां के लोगों को बांटना चाहती है।
लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग के लेकर दिखा था बिखराव
हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है, जब विपक्षी गठबंधन में दो राय देखी गई हो। चुनाव से पहले ही सीट शेयरिंग को लेकर विपक्षी गठबंधन में फूट पड़ गई थी। बंगाल में दीदी ने कांग्रेस को केवल दो सीटें देने का एलान किया था, जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने अन्य सीटों पर भी दावेदारी कर दी। अंततः सीएम ममता ने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान किया था। वहीं हाल पंजाब में देखने को मिला, जब सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़े थे।