मोरबी पुल हादसा : अदालत ने ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल की अंतरिम जमानत याचिका खारिज की
राजकोट, 7 मार्च। गुजरात के मोरबी ब्रिज हादसा मामले में जिला और सत्र अदालत ने मंगलवार को ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल ने अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज करने के बाद जयसुख पटेल के वकील हरेश एन. मेहता ने कहा कि जयसुख जमानत आदेश तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे। गुजरात उच्च न्यायालय में सू मोटो याचिका ने घायल व्यक्तियों और प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजा देने का आदेश भी दिया।
पीड़ितों को मुआवजे की व्यवस्था के लिए जयसुख ने मांगी थी अंतरिम जमानत
हरेश एन मेहता ने कहा कि आरोपित जयसुख पटेल ने मुआवजे की व्यवस्था के लिए अंतरिम जमानत मांगी है क्योंकि वह सदस्यों के बोर्ड का हिस्सा है और मुआवजे की व्यवस्था करना बोर्ड द्वारा एक सामूहिक प्रयास और निर्णय होगा। इस कॉल के पीछे कोई बुरा इरादा नहीं था।
प्रत्येक मृतक के परिजन को 10 लाख और घायल को 2 लाख मुआवजे का आदेश है
इससे पहले, गुजरात उच्च न्यायालय ने गत 22 फरवरी को घड़ी निर्माता कम्पनी ओरेवा समूह को मोरबी झूला पुल हादसे में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजन को 10 लाख रुपये और प्रत्येक घायल को दो लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा चार सप्ताह के अंदर भुगतान करने का निर्देश दिया था।
बीते शनिवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और पीड़ितों के परिजनों के विरोध के बाद प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पी. सी. जोशी की अदालत ने पटेल की अंतरिम जमानत याचिका पर अपना निर्णय सात मार्च के लिए सुरक्षित रख लिया था। वहीं, पीड़ितों के परिवारों की ओर से दिलीप अगेचनिया ने अदालत से कहा था कि पटेल को इस समय रिहा नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
हादसे में 135 लोगों की हुई थी मौत
गौरतलब है कि राज्य के मोरबी शहर में मच्छु नदी पर स्थित झूला पुल पिछले वर्ष 30 अक्टूबर को टूट गया था। इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई और 56 अन्य घायल हो गए थे। यह पुल ब्रिटिश शासनकाल के दौरान बना था। पुलिस ने इस हादसे के सिलसिले में पटेल सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया है और सभी आरोपित वर्तमान में मोरबी उप-जेल में बंद हैं।
वहीं, जयसुख पटेल ने पुल से जुड़े हादसे में मृतकों के परिवारों और घायल हुए 56 लोगों को मुआवजा देने के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के वास्ते 15-20 दिनों के लिए जमानत पर रिहा करने का अनुरोध किया था।