1. Home
  2. हिन्दी
  3. राष्ट्रीय
  4. समलैंगिक शादी की मान्यता मामले में 18 अप्रैल से संविधान पीठ करेगी सुनवाई, केंद्र ने नया आवेदन कर किया विरोध
समलैंगिक शादी की मान्यता मामले में 18 अप्रैल से संविधान पीठ करेगी सुनवाई, केंद्र ने नया आवेदन कर किया विरोध

समलैंगिक शादी की मान्यता मामले में 18 अप्रैल से संविधान पीठ करेगी सुनवाई, केंद्र ने नया आवेदन कर किया विरोध

0
Social Share

नई दिल्ली, 17 अप्रैल। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की उस याचिका पर सुनवाई के लिए मंगलवार को सहमति जताई, जिसमें समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से वैध ठहराने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं की विचारणीयता पर सवाल उठाए गए हैं। प्रधान न्यायाधीश डी. के. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस याचिका का उल्लेख करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के प्रतिवेदन का संज्ञान लिया। इस पीठ में न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हां, इसे कल सूचीबद्ध किया जाएगा।’’ केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाएं ‘‘शहरी संभ्रांतवादी’’ विचारों को प्रतिबिंबित करती हैं और विवाह को मान्यता देना अनिवार्य रूप से एक विधायी कार्य है, जिस पर अदालतों को फैसला करने से बचना चाहिए। केंद्र ने याचिकाओं के विचारणीय होने पर सवाल करते हुए कहा कि समलैंगिक विवाहों की कानूनी वैधता ‘पर्सनल लॉ’ और स्वीकार्य सामाजिक मूल्यों के नाजुक संतुलन को गंभीर नुकसान पहुंचाएगी।

उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से वैध ठहराए जाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करेगी। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एस. के कौल, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी। उच्चतम न्यायालय ने इन याचिकाओं को 13 मार्च को पांच न्यायाधीशों की इस संविधान पीठ के पास भेज दिया था और कहा था कि यह मुद्दा ‘‘बुनियादी महत्व’’ का है।

इस मामले की सुनवाई और फैसला देश पर व्यापक प्रभाव डालेगा, क्योंकि आम नागरिक और राजनीतिक दल इस विषय पर अलग-अलग विचार रखते हैं। दो समलैंगिक जोड़ों ने विवाह करने के उनके अधिकार के क्रियान्वयन और विशेष विवाह कानून के तहत उनके विवाह के पंजीकरण के लिए संबंधित प्राधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं, जिन पर न्यायालय ने पिछले साल 25 नवंबर को केंद्र से अपना जवाब देने को कहा था।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code