कांग्रेस ने चला बड़ा दांव : राज्य पुनर्गठन के बाद पहली बार दलित सीएम के हाथों पंजाब की बागडोर
चंडीगढ़, 19 सितम्बर। पंजाब में नए मुख्यमंत्री के चयन पर रविवार को दिनभर हुए नाटकीय घटनक्रम के बाद पार्टी के दलित चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर जो अंतिम फैसला हुआ, उसे कांग्रेस का बड़ा दांव माना जा सकता है। दरअसल, वर्ष 1966 में राज्य पुनर्गठन के बाद 55 वर्षों में पहली बार कोई दलित नेता पंजाब की बागडोर संभालने जा रहा है।
‘आप’ और बसपा का जवाब हैं चरणजीत चन्नी
इसमें कोई शक नहीं कि दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आम) को अगले वर्ष प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में प्रबल चुनौतीकर्ता के रूप में देखा जा रहा है। इस पार्टी की दलित वर्ग में गहरी पैठ मानी जाती है। दूसरी तरफ मायावाती की बहुजन समाज पार्टी पिछले विधानसभा चुनावों में अपनी ताकत दिखा चुकी है। इसे भांपते हुए कांग्रेस ने वाकई बड़ा पासा फेंक दिया है।
दलितों की करीब 20 फीसदी आबादी को साधने की कोशिश
दूसरे शब्दों में कहें तो दलित नेता को सीएम बनाकर कांग्रेस हिन्दू, दलित और सिखों की बड़ी आबादी को एक साथ साधने का प्रयास करेगी। राज्य में दलितों की करीब 20 फीसदी आबादी है, पिछले चुनावों में यह वोटबैंक बिखरा हुआ नजर आया था। ऐसे में इसे कांग्रेस की दलितों के बिखरे हुए वोटों को एकजुट करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।
दिलचस्प तो यह रहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद आज दिनभर कयासबाजियों का दौर चला। सुबह की कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी का बयान सामने आया कि उन्होंने सीएम पद ठुकरा दिया है क्योंकि उनकी नजर में किसी सिख नेता को ही पंजाब का मुख्यमंत्री बनना चाहिए। उसके बाद सुखजिंदर सिंह चीमा का नाम लगभग पक्का हो गया। लेकिन शाम होते-होते चन्नी सर्वसम्मति से कांग्रेस विधायक दल के नेता चुन लिए गए, जिसकी घोषणा प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने ट्वीट के जरिए दी।
सोमवार को पूर्वाह्न 11 बजे सीएम पद की शपथ लेंगे चन्नी
सीएम के नाम की घोषणा होने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी और हरीश रावत राजभवन पहुंचे, जहां उन्होंने राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से भेंट की। इस दौरान चन्नी ने राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत किया, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया। राज्यपाल से मुलाकात के बाद चरणजीत सिंह ने खुद बताया कि वह सोमवार को पूर्वाह्न 11 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
दलित सिख समुदाय से आते हैं चन्नी
दलित सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले चरणजीत सिंह चन्नी वर्ष 2007 से ही विधायक रहे हैं और निर्वतमान अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे। हालंकि पंजाब के दोआबा क्षेत्र के कद्दावर कांग्रेस नेता माने जाने वाले चन्नी काफी समय से कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बागी सुर अपनाए हुए थे। चन्नी 2015 से 2016 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं।
मी टू मामले में भी नाम आने के बाद विवादों में रहे
चरणजीत सिंह चन्नी तीन वर्ष पहले एक सीनियर महिला आईएएस अफसर को अश्लील मैसेज भेजने की वजह से विवाद में फंसे थे। उस समय वह विदेश यात्रा पर गए हुए थे। विदेश यात्रा से लौटने के बाद चन्नी ने कहा था कि उन्होंने गलती से महिला अधिकारी को मैसेज भेज दिया था।