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कांग्रेस को एक और झटका : दीव नगर परिषद में 15 वर्षों बाद गंवाई सत्ता, 9 में 7 पार्षदों ने थामा भाजपा का दामन

कांग्रेस को एक और झटका : दीव नगर परिषद में 15 वर्षों बाद गंवाई सत्ता, 9 में 7 पार्षदों ने थामा भाजपा का दामन

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दीव, 9 मई। कांग्रेस पार्टी की मुसीबत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और एक के बाद एक कई नेताओं के पार्टी छोड़ने से पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही है। इस बीच पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा, जब दीव नगर परिषद के आधे से ज्यादा नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है। इतना ही नहीं पार्षदों के समर्थकों ने भी भाजपा से जुड़ने का फैसला किया है।

नगर निकाय में कांग्रेस के सिर्फ 2 पार्षद बचे, भाजपा बहुमत में

दीव नगर परिषद में पिछले 15 वर्षों से राज कर रही कांग्रेस पार्टी के नौ में से सात पार्षदों ने अपने दर्जनों समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया। सात पार्षदों के पार्टी छोड़ने से दीव नगर परिषद में कांग्रेस ने बहुतमत खो दिया है और निकाय में कांग्रेस की सीटों की संख्या केवल दो रह गई है। हितेश सोलंकी और उनके भाई जीतेंद्र सोलंकी ही कांग्रेस पार्षद के रूप में बचे हैं। वहीं, भाजपा 10 पार्षदों के साथ बहुमत में आ गई है।

कांग्रेस ने वर्ष 2007 में यहां चुनाव जीता और 2012, 2017 सफलता दोहराई। 2017 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने 10 तो भाजपा ने तीन सीटों पर जीत हासिल की थी। बीते साल नवंबर में नगर परिषद दीव के उपाध्यक्ष मनसुख पटेल का निधन हो गया था।

पार्षदों ने जनसभा में भाजपा ज्वॉइन की

दीव के घोघला में भाजपा द्वारा जनसभा में हरीश कपाड़िया, दिनेश कपाड़िया, रविंद्र सोलंकी, रंजन राजू वनकर, भाग्यवंती सोलंकी, भावनाग दुधमल और निकिता शाह ने भाजपा का दामन थामा। जनसभा में उपस्थित दादरा और नगर हवेली और दमन दीव के प्रभारी और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विजय राहटकर ने सभी पार्षदों को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई और उनका स्वागत किया।

अध्यक्ष हरीश सोलंकी को छह माह पहले किया था निलंबित

उल्लेखनीय है कि कांग्रेसशासित दीव नगर परिषद के अध्यक्ष हरीश सोलंकी को दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के प्रशासन ने छह माह पहले निलंबित कर दिया था। सोलंकी को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद यूटी में नागरिक निकाय के लिए प्रशासक नियुक्त किया गया था। साथ ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए भी अब तक चुनाव नहीं हुए हैं। वहीं, विजय राहटकर ने कहा कि पार्षदों ने भाजपा की ‘विकास की राजनीति’ को समर्थन देने के लिए पार्टी से जुड़ने का फैसला किया है।

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