देश के 7500 किलोमीटर लम्बे समुद्री तटों पर तटीय स्वच्छता अभियान “स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर” का शुभारम्भ
नई दिल्ली , भारत का अपना एक समृद्ध समुद्री इतिहास रहा है। समुद्री क्रियाकलापों संबंधी बातों का उल्लेख सर्वप्रथम ऋग्वेद में मिलता है। भारतीय पुराणों में महासागर, समुद्र और नदियों के परस्पर संबंधों का अनेक बार उल्लेख हुआ है।
भारत के सागर पारिस्थितिक समृद्धि, जैव विविधता और अर्थव्यवस्था में योगदान करते है लेकिन विकास की अंधी दौड़ ने विश्व भर में सागर तट को पर्यावरण दृष्टि से चिंताजनक स्थिति मे ला दिया हैं। भारत के 7500 किलोमीटर लम्बे सागर तट पर अनेक सरकारी , धार्मिक, आध्यात्मिक, स्वयंसेवी संगठन स्थानीय समाज की सहभागिता से सागर तट पर “स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर” अभियान चलाएंगे जिसमे मुख्यतः एकल प्रयोग पॉलिथीन पर ध्यानाकर्षण रहेगा ।
इस अभियान में भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय(MoES), पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC),राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), तट रक्षक दल (Indian Coast Guard),राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) , सीमा जागरण मंच , SFD ,अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP),पर्यावरण संरक्षण गतिविधि (PSG),अनेक सामाजिक व धार्मिक संगठन, शिक्षण संस्थान एक साथ आकर सामूहिक रूप से स्वच्छ सागर -सुरक्षित सागर अभियान के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास करेंगे ताकि इस अभियान में समाज की भागीदारी भी सक्रिय रूप से हो सके।
इस अभियान के गुजरात के अभियान प्रमुख श्री मुकेशभाई भाटी और पर्यावरण संरक्षण के प्रांत संयोजक श्री हितेन्द्रभाई मोजिद्रा ने संयुक्त निवेदन में कहा की “ गुजरात में भी अपने सागर सीमा के जिल्ले में अभियान समिति बनना प्रारंभ हो गया है| प्रकृति की अनमोल सम्प्पति को हमारी केवल अर्थ प्रति दौड़ की जीवनशैली के कारण जो नुकशान पहुचाया है इसको सुधार करके प्रकृति के संवर्धन से प्रकृति ॠण चुकाने का अनमोल अवसर यह अभियान के रूप में प्राप्त हुआ है | गुजरात के सभी जन समुदाय के सहयोग से ये अभियान पूणत: सफल होगा | “