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वाराणसी : सीएम योगी ने शुरू की ‘संस्कृत छात्रवृत्ति योजना’, 69195 विद्यार्थियों को 586 लाख रुपये की छात्रवृत्ति का वितरण

वाराणसी : सीएम योगी ने शुरू की ‘संस्कृत छात्रवृत्ति योजना’, 69195 विद्यार्थियों को 586 लाख रुपये की छात्रवृत्ति का वितरण

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वाराणसी, 27 अक्टूबर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को यहां सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में ‘संस्कृत छात्रवृत्ति योजना’ की शुरुआत की। उन्होंने कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा सहित अन्य अतिथियों की मौजदगी में मंच से 12 बच्चों को प्रतीकात्मक चेक भी प्रदान किए।

24 घंटे में खातों में पहुंच जाएगी छात्रवृत्ति  की धनराशि

सीएम योगी ने इस अवसर पर 69,195 विद्यार्थियों को 586 लाख रुपये की छात्रवृत्ति का वितरण किया। उन्होंने कहा कि कल (सोमवार) तक 69,195 छात्रों के बैंक अकाउंट में छात्रवृत्ति की धनराशि पहुंच जाएगी। वस्तुतः प्रदेश में संस्कृत के विद्यार्थियों को पहली बार एक साथ छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिलने रहा है।

अब तक सिर्फ 300 छात्रों के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था थी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘गरीब छात्रों के लिए छात्रवृत्ति होनी चाहिए। लेकिन संस्कृत को उससे क्यों उपेक्षित किया गया, मुझे नहीं समझ आया। अब तक केवल 300 बच्चों के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था थी। वह भी छात्रों को पता नहीं होता था और कोई आवेदन नहीं कर पाता था।

मान्यता न होने के कारण छात्र नहीं आ रहे थे

सीएम योगी ने कहा, ‘सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्विद्यालय से जब प्रथमा, पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा की भी मान्यता प्राप्त होती थी, तब नेपाल और देश के अलग-अलग जगहों के छात्र काशी और गोरखपुर में भी अध्ययन करने के लिए आते थे। वर्ष 2001 में उत्तर प्रदेश संस्कृत परिषद बना। परिषद को मान्यता नहीं मिली, लेकिन छात्रों का प्रवेश होता रहा। कभी प्रयास नहीं हो पाया कि हम इस संस्कृत परिषद को मान्यता दिला पाएं। मैंने एक बार पूछा कि संस्कृत से छात्र क्यों भाग रहे हैं तो पता लगा कि मान्यता न होने के कारण बाहर के बच्चे अब आने से कतराते हैं।’

उत्तर प्रदेश संस्कृत परिषद की मान्यता बहाल कराई

उन्होंने कहा, ‘सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में मान्यता पहले से थी। यह देश का प्राचीन संस्कृत विश्वविद्यालय है। उत्तर प्रदेश संस्कृत परिषद को मान्यता तब मिल पाई, जब हम लोगों की सरकार साल 2017 में आई। अब छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। पहले तो संस्कृत के बच्चों को स्कॉलरशिप नहीं मिलती थी, उसमें भी आयु सीमा जोड़ दी गई। हम लोगों ने कहा कि संस्कृत के साथ जुड़ने वाले हर छात्र को छात्रवृत्ति मिलनी चाहिए।’

अब निःशुल्क छात्रावास की व्यवस्था करने वाले संस्थानों को ही अनुदान मिलेगा

सीएम योगी ने कहा, ‘आगे हम व्यवस्था करने जा रहे हैं कि अब संस्कृत विद्यालयों में हम एड उन्हीं संस्थानों को देंगे, जो अपने यहां छात्रों के लिए नि:शुल्क छात्रावास की व्यवस्था करेंगे और खाने-पीने की व्यवस्था करेंगे। जहां पर भी कोई व्यक्ति, कोई आश्रम, कोई न्यास अच्छा छात्रावास, विद्यालय बनाकर देगा, बच्चों के खाने-पीने की नि:शुल्क व्यवस्था देगा, वहां हम अनुदान देकर उस संस्थान को संस्कृत की मान्यता के लिए अच्छे आचार्यों की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्रता भी देंगे। हमने कहा है कि युद्धस्तर पर प्रदेशभर में इस प्रकार के विद्यालय खोलें, जो गुरुकुल की परम्परा को पुनर्जीवित कर सकें।’

प्रदेश सरकार ने संस्कृत के लिए किए कई प्रयास

उल्लेखनीय है कि प्रदेश की योगी सरकार ने 518 मानदेय संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति, चार व्यावसायिक डिप्लोमा पाठ्यक्रम (पौरोहित्य, व्यावहारिक वास्तुशास्त्र, व्यावहारिक ज्योतिष एवं योग विज्ञान) की शुरुआत की। 12 करोड़ रुपये से लखनऊ में उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा निदेशालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद भवन की स्थापना, अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों के जीर्णोद्धार एवं सुविधा विकास हेतु ‘सहयोगी अनुदान योजना’ की शुरुआत की गई है।

संस्कृत पाठ्यक्रम का किया गया पुनर्संयोजन

प्रदेश सरकार ने इसके साथ ही 24 जनपदों के 130 संस्कृत विद्यालयों के जीर्णोद्धार के लिए 34.12 करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत कीं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार संस्कृत पाठ्यक्रम का पुनर्संयोजन एवं आधुनिक विषयों में एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू की गईं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद को भारत सरकार की मान्यता भी मिली है। सीएम योगी ने संस्कृत को व्यावसायिक शिक्षा बनाने एवं उसके साथ छात्रों को जोड़ने के लिए ऐसे ही कई प्रयास किए हैं।

संस्कृत में विशिष्ट शोधार्थियों के लिए जल्द शुरू होगी स्कॉलरशिप

सीएम योगी ने कहा, ‘जो भी आचार्य और छात्र संस्कृत में विशिष्ट शोध की थीसिस लिखेंगे, कुछ अच्छा कार्य करेंगे, मैं उन सभी को आश्वत करता हूं कि उनके लिए हम एक अच्छी स्कॉलरशिप की घोषणा करने जा रहे हैं। हम उन्हें दो से तीन वर्ष की एक निश्चित अवधि के लिए स्कॉलशिप देंगे। वे इन तीन वर्षों के अंदर बिना किसी चिंता के अपने शोध के कार्य को आगे बढ़ा सकें, साथ ही इसके माध्यम से वह भारतीय संस्कृति के मूल तत्व को दुनिया के सामने रख सकें, यह आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।’

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