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CJI चंद्रचूड़ बोले – अदालती बहस की भाषा ऐसी हो, जिसे सामान्य नागरिक भी आसानी से समझ सके

CJI चंद्रचूड़ बोले – अदालती बहस की भाषा ऐसी हो, जिसे सामान्य नागरिक भी आसानी से समझ सके

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लखनऊ, 13 जुलाई। देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में मुकदमों के दौरान होने वाली बहस की भाषा ऐसी सहज बनाने की वकालत की है, जिसे सामान्य नागरिक भी आसानी से समझ सके। जस्टिस चंद्रचूड़ ने शनिवार को लखनऊ के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (RMLNLU) के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।

सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भंसाली की उपस्थिति में 132 मेधावियों को मेडल देकर सम्मानित किया।

अपने संबोधऩ में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में अंग्रेजी भाषा में होने वाले बहस को आम जनता नहीं समझ सकती। यह ठीक उसी तरह है, जैसे इंग्लिश में मां के प्यार को अनुवाद नहीं किया जा सकता। इंग्लिश में दो किसानों के बीच हुई बातचीत को सही तरीके से नहीं समझा जा सकता। इसीलिए स्थानीय भाषा में ताल और तलैया का मतलब यहीं आकर मुझे पता चला।’

कानून की शिक्षा स्थानीय भाषा में भी होनी चाहिए

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश एक ऐसा विधि विविधता वाला प्रदेश है, जहां हर क्षेत्र की भाषा और बोली अलग है। यहां जज और वकील कोर्ट में अंग्रेजी में बहस करते हैं तो उसे भोजपुरी बोलने वाला आम आदमी कैसे समझ सकता है। उत्तर प्रदेश के वकील हिन्दी में बेहतरीन तरीके से अपना पक्ष रखते हैं, इसलिए सभी विश्वविद्यालय में पढ़ाई हिन्दी सहित अन्य भाषा में भी होनी चाहिए। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि कानून की शिक्षा से अंग्रेजी को पूरी तरह से हटा देना चाहिए, बल्कि इसे स्थानीय भाषा और हिन्दी में भी पढ़ाया जाना चाहिए।’

लोहिया लॉ यूनिवर्सिटी को हिन्दी में पढ़ाई जरूर करानी चाहिए

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि लोहिया लॉ यूनिवर्सिटी को अपने यहां कानून की पढ़ाई हिन्दी विषय में जरूर करनी चाहिए। यदि यहां का छात्र खसरा और खतौनी के बारे में भेद नहीं कर सकेगा तो वह उत्तर प्रदेश की आम जनता की भी मदद पूरी तरह से नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा, ‘बॉम्बे हाई कोर्ट से जब मैं इलाहाबाद हाई कोर्ट आया, तब मुझे पता चला कि यहां के वकील बेहतरीन तरीके से हिन्दी में अपना पक्ष रख लेते हैं।’

न्याय प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पहल की है

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय प्रक्रिया को आम लोगों के लिए आसान बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक पहल की शुरुआत की है। सुप्रीम कोर्ट ने 1950 से लेकर अब तक अपने 37000 जजमेंट को हिन्दी में अनुवाद कर चुका है। उन्होंने भावी वकीलों से आग्रह किया कि वे इसका प्रयोग करें और आम लोगों को मदद दिलाने में उनकी मदद करें।

सीएम योगी बोले – वकीलों पर लोग आंख बंद कर भरोसा करते हैं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का स्वागत करते हुए कहा कि भारत के अंदर विधि का शासन हो, अच्छे विधि विशेषज्ञ स्नातक, परास्नातक और शोध की डिग्री लेने के बाद जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में राष्ट्र निर्माण के अभियान का हिस्सा बन सकें, इसके प्रति यहां के छात्र के अंत:कारण की जिजीविषा के कारण ही विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में भी मुख्य अतिथि के रूप में भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर डीवाई चंद्रचूड़ का आशीर्वाद उन्हें मिल रहा है। इससे पहले भी दीक्षांत समारोह में उन्हीं का आशीर्वाद विद्यार्थियों को प्राप्त हुआ था।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय में जाने से पूर्व इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल उत्तर प्रदेश वासियों और न्याय जगत के लिए काफी अविश्वसनीय रहा है। वकीलों पर लोग आंख बंद कर भरोसा करते हैं, यही आपकी पूंजी है।

जीवन में चुनौती की परवाह किए बिना खुद ढालें

सीएम योगी ने कहा, ‘हमारे देश के प्राचीन गुरुकुल की परंपरा में दीक्षांत समारोह एक समावर्तन समारोह के रूप में होता था। उस समय मान्यता थी कि जो भी यहां से स्नातक करेगा, वह इतना परिपक्व होगा कि सारी परीक्षाओं को पास करके अपने भावी जीवन को आगे बढ़ाएगा। यदि हम भी अपने जीवन में बिना किसी चुनौती की परवाह किए खुद को ढालेंगे तो उसका परिणाम हमारे हित में सुखद होगा। हमारे समाज और देश के हित में सुखद होगा। हम भी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जाकर बहुत कुछ नया कर पाएंगे।

 

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