चिराग पासवान की चेतावनी – चाचा पशुपति एलजेपी कोटे से मंत्री बने तो अदालत जाऊंगा
पटना, 6 जुलाई। मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर बिहार में राजनीतिक हलचल कुछ ज्यादा ही तेज है। सत्तारूढ़ दल जेडीयू ने मोदी कैबिनेट में शामिल होने का संकेत देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने जहां बिहार फॉर्मूला रख दिया है और सांसदों की संख्या के हिसाब से मंत्री बनाए जाने की मांग की है वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में टूट के बाद अकेले सांसद बचे चिराग पासवान ने चेतावनी दी है कि यदि उनके चाचा पशुपति पारस पासवान को एलजेपी कोटे से मंत्री बनाया गया तो वह अदालत की शरण लेंगे।
चिराग पासवान ने मंगलवार को यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में चाचा पशुपति पारस पर तंज कसते हुए कहा, ‘मैं दिल से चाहता हूं कि पशुपति पारस मंत्री बनें। यदि उन्होंने अपनी निजी महत्वाकांक्षा के लिए इतनी बदनामी ली है तो उनकी मनोकामना पूरी हो।’
- जदयू कोटे से चाचा मंत्री बने तो मुझे कोई दिक्कत नहीं
चिराग ने कहा, ‘वह लोजपा कोटे से मंत्री नहीं बन सकते। शायद प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी न हो क्योंकि वो बिजी होंगे। वह (पशुपति पारस) निर्दलीय मंत्री बन सकते हैं। लेकिन यदि वह एलजेली के नाम पर मंत्री बनते हैं तो मैं इसका विरोध करूंगा और कोर्ट की शरण लूंगा। अगर उन्हें जदयू में शामिल कराकर मंत्री बनाया जाता है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं। लेकिन एलजेपी कोटे से मंत्री बनाया जाएगा तो मैं आपत्ति दर्ज कराऊंगा।’
दरअसल, मोदी सरकार की कैबिनेट में विस्तार के साथ बदलाव होने वाला है और ऐसी चर्चा है कि पशुपति पारस को भी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
- बागी सांसदों को एलजेपी से निष्कासित किया जा चुका है
चिराग ने बताया कि जिन पांच सांसदों ने बगावत की थी, उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। उन्होंने बताया, ‘बागी सांसदों ने हमारे आदरणीय रामविलास पासवान के विचारों को कुचलते हुए अलग गुट बनाया, इसलिए कार्यकारिणी ने इन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है।’
- ‘पार्टी में 95 फीसदी लोग अब भी मेरे साथ’
चिराग ने चाचा पशुपति पर करारा प्रहार करते हुए कहा, ‘अगर आप कहते हैं कि आपको राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है और दूसरी तरफ आप उसकी प्रणाली नहीं बताते तो यह सही नहीं है। इन लोगों ने महज एक औपचारिकता पूरी की है। पार्टी में 95 फीसदी लोग मेरे साथ हैं। मैं चुनौती देता हूं कि वे इसको गलत साबित करें।’
उन्होंने कहा, ‘आज मेरे पिताजी के फैसलों पर ही सवाल उठाया जा रहा है। मुझे तकलीफ इस बात की है कि इन्होंने चिराग पासवान की पीठ पर नहीं बल्कि रामविलास पासवान की पीठ में छुरा घोंपा है। अभी मेरे पिता को गए नौ महीने हुए हैं और अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के लिए आप किसके साथ खड़े हैं, जिन्होंने हमारी पार्टी को तोड़ने का काम किया। नीतीश कुमार ने कब-कब अपमानित नहीं किया रामविलास पासवान को और आप नीतीश कुमार की गोद में बैठकर अपने भाई को श्रद्धांजलि दी रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार ने आज भी रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि देना जरूरी नहीं समझा और चाचा उनकी गोद में बैठे हुए हैं। सोमवार को मेरी यात्रा में अपार जनसैलाब था, वो ऐतिहासिक था। यह समर्थन चिराग को नहीं रामविलास पासवान को मिला। यह समर्थन उन लोगों के खिलाफ है, जिन्होंने मेरे पिता की मौत के बाद उनकी विचारधारा से समझौता किया।’ ज्ञातव्य है कि सोमवार पांच जुलाई को रामविलास पासवान की पहली जयंती थी और चिराग इस अवसर पर राज्य में आशीर्वाद यात्रा शुरू की है।
- नीतीश कुमार पहले भी कर चुके हैं पार्टी तोड़ने का काम
चिराग ने जदयू पर पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘यह पहली बार नहीं है कि उन्होंने पार्टी को तोड़ने का काम किया हो। इससे पहले भी वह पार्टी तोड़ने का काम कर चुके हैं। नीतीश कुमार ने हमारे नेता को अपमानित करने का काम किया और ये लोग उनके साथ जा कर बैठ गए हैं। आप को शुभकामनाएं मेरी।’
उन्होंने कहा, ‘अगर मैंने समझौता किया होता तो बिहार में उप मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र में मंत्री, न जाने कितने पदों पर होता। सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, सबसे पहले अगर कोई टूट होगी तो जदयू में होगी।’