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बैंकिंग सेक्टर में फिर होगा बड़ा बदलाव : 2 सरकारी बैंकों के विलय की तैयारी में केंद्र सरकार, देश में रहेंगे सिर्फ 4 बड़े बैंक

बैंकिंग सेक्टर में फिर होगा बड़ा बदलाव : 2 सरकारी बैंकों के विलय की तैयारी में केंद्र सरकार, देश में रहेंगे सिर्फ 4 बड़े बैंक

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नई दिल्ली, 4 नवम्बर। भारत के बैंकिंग सेक्टर में एक बार फिर बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इस क्रम में केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के मेगा मर्जर की नई योजना पर काम कर रही है। इस योजना के तहत अब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया के विलय होगा, जिसके बाद देश में सिर्फ चार बड़े सरकारी बैंक ही बचे रह जाएंगे। बाकी छोटे बैंकों को इन दिग्गज बैंकों में मिलाने की रूपरेखा तैयार की जा रही है।

यूनियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया का होगा मेगा मर्जर

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वित्त मंत्रालय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) और बैंक ऑफ इंडिया (BOI) के विलय की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार कर रहा है। यदि यह प्रस्ताव हकीकत बनता है तो देश को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बाद दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक मिलेगा।

विलय हुआ तो SBI के बाद देश को दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक मिलेगा

वर्तमान में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पास करीब 21 करोड़ खाताधारक हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया के लगभग 5.5 करोड़ ग्राहक हैं। दोनों बैंकों के विलय के बाद यह संख्या 25.5 करोड़ खातों तक पहुंच जाएगी, जो एसबीआई के 26 करोड़ खाताधारकों से तनिक कम है। यह विलय भारतीय बैंकिंग सिस्टम के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है।

ये है सरकार का उद्देश्य

इस विलय का उद्देश्य सरकारी बैंकों को वित्तीय रूप से अधिक मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनाना है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने बैंकिंग सुधारों की दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं, जिनमें 2019 का मेगा मर्जर प्रमुख रहा था। तब पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को मिलाकर एक बड़ा बैंक बनाया गया था।

वर्तमान योजना के तहत सरकार चाहती है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटाकर उन्हें ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धा करने योग्य संस्थान बनाया जाए। इससे न केवल पूंजी प्रबंधन आसान होगा बल्कि डिजिटल बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में एकरूपता भी आएगी।

भविष्य में और बैंकों के मर्जर की भी तैयारी

हालांकि केंद्र सरकार सिर्फ यूनियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के मर्जर पर ही नहीं रुकने वाली है। मीडिया रिपोर्ट पर भरोसा करें तो वित्त मंत्रालय इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (सीबीआई) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) के संभावित विलय पर भी काम कर रहा है। इससे देश में बचे हुए छोटे सरकारी बैंकों का अस्तित्व बड़े बैंकों में समा सकता है।

खाताधारकों पर क्या होगा असर?

यदि यह मर्जर होता है तो खाताधारकों के खातों की सेवाओं में कोई तात्कालिक बदलाव नहीं होगा। उनके खातों, जमा, एटीएम कार्ड या लोन पर इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा बल्कि एकीकृत बैंकिंग सिस्टम से ग्राहकों को बेहतर डिजिटल सेवाएं, विस्तृत शाखा नेटवर्क और वित्तीय सुरक्षा का लाभ मिलेगा।

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