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केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र से एक दिन पहले बुलाई सर्वदलीय बैठक, उसी दिन जारी हो सकता है एजेंडा

केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र से एक दिन पहले बुलाई सर्वदलीय बैठक, उसी दिन जारी हो सकता है एजेंडा

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नई दिल्ली, 13 सितम्बर। केंद्र सरकार ने 18 सितम्बर से प्रस्तावित संसद के विशेष सत्र से एक दिन पहले यानी रविवार, 17 सितम्बर को सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला लिया है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार उसी दिन सत्र का एजेंडा जारी कर सकती है। इधर, विपक्ष लगातार सरकार पर संसद की पांच दिवसीय कार्यवाही शुरू होने से पहले एजेंडा जारी नहीं करने पर सवाल उठा रहा है।

सूत्रों के अनुसार केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने 17 सितम्बर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। हालांकि, अभी इसकी आधिकारिक घोषणा होनी शेष है। अटकलें हैं कि सरकार इस सत्र के दौरान ‘एक देश एक चुनाव’, महिला आरक्षण, संविधान संशोधन समेत कई बड़े बिल पेश कर सकती है। फिलहाल, सरकार की तरफ से इसे लेकर जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।

कांग्रेस ने फिर पूछा सवाल

इस बीच कांग्रेस ने संसद के विशेष सत्र के लिए एजेंडे की सूचना नहीं होने को लेकर बुधवार को एक बार फिर सवाल उठाया और कहा कि सत्र आरंभ होने में केवल पांच दिन शेष है, लेकिन शायद ‘एक व्यक्ति’ को छोड़कर एजेंडे के बारे में किसी के पास जानकारी नहीं है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने अतीत में हुई संसद की कुछ विशेष बैठकों का उल्लेख भी किया और कहा कि विशेष बैठकों से पहले कार्यसूची की जानकारी उपलब्ध होती थी।

‘एक व्यक्ति को छोड़कर शायद किसी को भी एजेंडे की जानकारी नहीं

जयराम रमेश ने किसी का नाम लिए बिना ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘आज 13 सितम्बर है। संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र पांच दिन बाद शुरू होगा और एक व्यक्ति (शायद दूसरे को भी) को छोड़कर किसी को भी एजेंडे की जानकारी नहीं है। पिछले प्रत्येक अवसर पर जब भी विशेष सत्र या विशेष बैठकें आयोजित की जाती थीं, तो कार्यसूची के बारे में पहले से जानकारी होती थी।’

सोनिया गांधी भी एजेंडे को लेकर पीएम मोदी को भेज चुकी हैं पत्र

इससे पहले कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और रायबरेली सांसद सोनिया गांधी की तरफ से भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा गया था। उस दौरान उन्होंने अडानी मामले पर जेपीसी जांच, बढ़ती कीमतें, रोजगार संबंधी करीब नौ मुद्दे उठाए थे। उन्होंने सरकार से मणिपुर मुद्दे पर भी संसद में चर्चा करने की मांग उठाई थी।

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