CEC ने खरगे पर छोड़ा अमेठी और रायबरेली का फैसला, फिलहाल राहुल और प्रियंका ही सबकी पसंद
नई दिल्ली, 27 अप्रैल। कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) ने शनिवार को अपनी बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से राहुल गांधी को अमेठी से और प्रियंका गांधी वाड्रा को रायबरेली से चुनावी मैदान में उतारने का आग्रह किया। हालांकि अंतिम निर्णय खरगे द्वारा लिया जाएगा क्योंकि सीईसी सदस्यों ने गांधी परिवार के दो सदस्यों के लिए एक मजबूत वकालत करने के बाद निर्णय पार्टी अध्यक्ष पर छोड़ दिया है।
उल्लेखनीय है कि अमेठी और रायबरेली के चुनावों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है क्योंकि वे 2019 तक कांग्रेस के गढ़ थे, जब भाजपा की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी से अमेठी छीन ली थी। राज्यसभा में स्थानांतरित होने के बाद सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट खाली कर दी, जिससे अटकलें शुरू हो गईं कि प्रियंका गांधी वाड्रा पारिवारिक सीट से चुनावी शुरुआत कर सकती हैं। अटकलें तब शांत हो गईं, जब पार्टी ने इन दो महत्वपूर्ण सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करने में अपने कदम पीछे खींच लिए।
अमेठी के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने पहले कहा था कि यदि पार्टी चाहेगी तो वह अमेठी से चुनाव लड़ेंगे। वायनाड में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान के बाद पार्टी द्वारा दूसरी सीट, अमेठी से उम्मीदवार के रूप में राहुल गांधी के नाम की घोषणा करने की संभावना मजबूत हो गई।
फिलहाल खरगे ने कहा कि अमेठी और रायबरेली के उम्मीदवारों पर सस्पेंस कुछ दिनों में खत्म हो जाएगा। सीईसी की बैठक से पहले दिन में खरगे ने असम में कहा, ‘आपको कुछ और दिनों तक इंतजार करना होगा… जब लोगों की ओर से उम्मीदवारों के नाम मेरे पास आएंगे और मैं अधिसूचना पर हस्ताक्षर करूंगा तो इसकी घोषणा की जाएगी।’
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 में राहुल गांधी ने अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़ा था, लेकिन अमेठी में स्मृति ईरानी से हार गए। इस बार शुरुआत में उनकी दोहरी उम्मीदवारी की घोषणा नहीं की गई थी। हालांकि अमेठी और वायनाड में भाजपा का प्रचार इस आरोप के इर्द-गिर्द घूमता रहा कि राहुल गांधी ने वायनाड के लिए अमेठी छोड़ दिया और वायनाड का भी वही हश्र होगा।
खरगे ने गुवाहाटी में कहा, ‘जो लोग निर्वाचन क्षेत्र बदलने के लिए कांग्रेस नेताओं पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें मुझे यह भी बताना चाहिए कि (अटल बिहारी) वाजपेयी और (लाल कृष्ण) आडवाणी ने कितनी बार अपनी सीटें बदलीं…वायनाड के लोगों की मांग थी और वह वहां गए। नेताओं को ऐसा करना ही होगा कि वे लोगों की मांग के अनुसार चलें।’