नागरिकता संशोधन कानून : 2 वर्ष बाद भी नहीं बन सके नियम, 9 जनवरी को तीसरी समया सीमा भी खत्म
नई दिल्ली, 10 जनवरी। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), 2019 के पास होने के बाद से तीसरी समय सीमा बीत जाने के बाद भी केंद्रीय गृह मंत्रालय उसके नियमों को अधिसूचित कर पाने में नाकाम रहा।
राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक ‘द हिन्दू’ की एक रिपोर्ट के अनुसार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), 2019 के नियमों को तैयार करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा की दो संसदीय समितियों द्वारा समय सीमा बढ़ाने की तारीख रविवार, नौ जनवरी को खत्म हो गई।
हालांकि, अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि गृह मंत्रालय ने सीएए को नियंत्रित करने वाले नियमों को अधिसूचित करने के लिए संसद के दोनों सदनों में अधीनस्थ कानून पर समिति से और समय मांगा है या नहीं।
बिना नियम तैयार हुए सीएए कानून लागू नहीं किया जा सकता
गौरतलब है कि बिना नियम तैयार हुए कानून को लागू नहीं किया जा सकता है। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में पूछे गए सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। मंत्रालय ने इससे पहले समितियों से 9 अप्रैल, 2021 और फिर 9 जुलाई, 2021 तक नियमों को अधिसूचित करने के लिए समय मांगा था, जो भारत के राजपत्र में प्रकाशित होगा।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने शीतकालीन सत्र में गत वर्ष 30 नवंबर को लोकसभा को बताया था कि सीएए के तहत आने वाले व्यक्ति नियमों को अधिसूचित किए जाने के बाद नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
संसद ने 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया था सीएए
स्मरण रहे कि सीएए 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था और 12 दिसंबर को 24 घंटे के भीतर अधिनियम को अधिसूचित किया गया था। जनवरी, 2020 में, मंत्रालय ने अधिसूचित किया कि अधिनियम 10 जनवरी, 2020 से लागू होगा। सीएए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह गैर-मुस्लिम समुदायों को धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था।
सीएए के खिलाफ देशभर में दिसंबर, 2019 से मार्च, 2020 तक हुए विरोध प्रदर्शनों में असम, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मेघालय और दिल्ली में कम से कम 83 लोग मारे गए थे।