नई दिल्ली, 15 सितंबर। केंद्र सरकार ने भारी वित्तीय बोझ से दबे दूरसंचार क्षेत्र को चौथी और पांचवी पीढ़ी की दूरसंचार सेवाओं के लिए तैयार करने के उद्देश्य से आज नौ बड़े ढांचागत सुधार करने का निर्णय लिया जिसमें टेलीकॉम कंपनियों के सकल समायोजित राजस्व (एजीआर) की परिभाषा को तर्कसंगत बनाने, दूरसंचार कंपनियों को सांविधिक बकायों के भुगतान के लिए चार वर्ष की छूट के साथ दस वर्ष का समय देने और अब स्पेक्ट्रम का आवंटन 20 वर्ष के बजाय 30 वर्षों के लिए करना शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिये गए। सरकार ने इस क्षेत्र के लिए नौ ढांचागत सुधार और पांच प्रक्रियागत सुधारों को मंजूरी दी है। सूचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिये गये निर्णयों की जानकारी देते हुये संवाददाताओं से कहा कि एजीआर को तर्कसंगत बनाया जायेगा।
इससे गैर टेलीकॉम राजस्व को अलग किया जायेगा। इसके साथ ही दूरसंचार कंपनियों को 4 जी और 5 जी जैसी प्रौद्योगिकियों में निवेश करने और इसके लिए टावर आदि लगाने में मदद के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के शुल्कों और स्पेक्ट्रम चार्ज आदि के भुगतान में चार वर्षाें की राहत देने का निर्णय लिया गया है। हालांकि इसके लिए कंपनियों को एमसीएलआर पर दो प्रतिशत अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि टेलीकॉम लाइसेंस शुल्कों, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क और अन्य सभी शुल्कों पर लगने वाले भारी ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज को भी तर्कसंगत बनाने का निर्णय लिया है। पहले इसकी गणना मासिक चक्रवृद्धि ब्याज के आधार पर होती थी जिसे अब वार्षिक करने का निर्णय लिया गया है। इसके अतिरिक्त जुर्माने को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है लेकिन ये सभी निर्णय पूर्ववर्ती तिथि से प्रभावी नहीं होंगे। ये सभी वर्तमान तिथि से मान्य होंगे।
उन्होंने कहा कि अब सभी तरह के स्पेक्ट्रम शेयरिंग की अनुमति होगी और इसके लिए कोई शुल्क नहीं लगेगा। इसके साथ ही अब से स्पेक्ट्रम का आवंटन 20 वर्षों के बजाय 30 वर्षों के लिए होगा और 10 वर्षों की लॉकइन अवधि होगी। उसके बाद स्पेक्ट्रम को शुल्क के साथ वापस भी किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में स्पेक्ट्रम की नीलामी की जायेगी।