कर्नाटक : बोम्मई कैबिनेट ने मुसलमानों के लिए चार फीसदी ओबीसी आरक्षण खत्म किया
बेंगलुरु, 24 मार्च। कर्नाटक में बसवराज बोम्मई मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत ओबीसी आरक्षण खत्म करने का फैसला किया। उन्हें 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा वर्ग में स्थानांतरित किया जाएगा। मुसलमानों का 4 प्रतिशत कोटा वोक्कालिगा (2 प्रतिशत) और लिंगायत (2 प्रतिशत) को दिया जाएगा।
10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा वर्ग में स्थानांतरित होंगे मुसलमान
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में इसी वर्ष अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं और माना जा रहा है कि यह फैसला इसी को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। कर्नाटक में अनुसूचित जातियों के लिए 15 फीसदी, एसटी के लिए तीन फीसदी और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 32 फीसदी आरक्षण प्रदान किया जाता है, जो कुल मिलाकर 50 फीसदी होता है।
हाल फिलहाल में कई अन्य समुदायों ने सरकार से आरक्षण की मांग तेज कर दी थी। सरकार के पंचमसाली लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के आरक्षण बढ़ाने का फैसला किया था, लेकिन अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी।
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय बेहद प्रभावशाली
गौरतलब है कि कर्नाटक में लिंगायत समुदाय एक बेहद प्रभावशाली समुदाय है। लिंगायत समाज को कर्नाटक की अगड़ी जातियों में गिना जाता है। कर्नाटक की आबादी का 18 फीसदी लिंगायत है। लिंगायत सम्प्रदाय के लोग ना तो वेदों में विश्वास रखते हैं और ना ही मूर्ति पूजा में। चुनावों में जीत के लिहाज से लिंगायत समुदाय का वोट अहम माना जाता है और यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल इस समुदाय को खुश रखना चाहते हैं।
भाजपा जनाधार बढ़ाने के लिए वोक्कालिगा समुदाय पर काफी ज्यादा जोर दे रही
भाजपा अपना जनाधार बढ़ाने के लिए वोक्कालिगा समुदाय पर काफी ज्यादा जोर दे रही है। इस समुदाय की आबादी भी 16 प्रतिशत के करीब है। बोम्मई सरकार में सात मंत्री वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं। वोक्कालिगा में सेंध लगाना भाजपा की नई रणनीति के लिए काफी ज्यादा जरूरत थी और यही देखते हुआ आरक्षण का कार्ड खेला गया है। हालांकि कांग्रेस के पास भी कई वोक्कालिगा नेताओं का सर्मथन है। इनमें डीके के प्रमुख शिवकुमार भी हैं, जो मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक हैं।